लड़की बोझ नहीं है निबंध Ladki Bojh Nahi Hai Essay In Hindi: ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता, एकता कपूर, किरण बेदी, किरण मजूमदार शॉ, कल्पना चावला, पीटी ऊषा, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल ये भी बेटियाँ ही हैं.
कोई इन्हें देखकर भला यह कह सकेगा कि बेटी/लड़की बोझ हैं. हमारी विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, लोक सभा अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी तो लड़की ही थी.
यदि इन्हें भी जन्म से पूर्व मार दिया जाता तो क्या हम ऐसी प्रतिभाएं पाते ? आज के निबंध में लड़की बोझ नहीं है / धरती पर बोझ नहीं होती है बेटियां व बेटी है तो कल हैं का निबंध साझा कर रहे हैं.
लड़की बोझ नहीं है निबंध Ladki Bojh Nahi Hai Essay In Hindi

प्रस्तावना: ईश्वर ने नर और नारी का जोड़ा बनाया हैं और दोनों से कहा जाओं, इस संसार का विकास करों. इस उत्तरदायित्व को उसने अपने कंधों पर बराबर बराबर डाला.
जब तक दोनों अपने अपने आदर्शों पर चले, तब तक भारतीय संस्कृति को आदर्श स्वरूप देते रहे, किन्तु मध्यकाल तक आते आते स्थिति डांवाडोल हो गई.
लड़की को बोझ मानने की सोच: नर की कठोरता और शक्ति ने उसमें अभिमान उत्पन्न कर दिया. पूरे समाज का कर्ता धर्ता वह स्वयं को ही मानने लगा. पुरुष ने स्त्री की कोमलता के कारण उसे अपने अधीन बनाया और अपनी आज्ञानुसार उसे चलाने लगा.
परिणामतः नारी सामाजिक गतिविधियों और शिक्षा से वंचित होती चली गई और एक दासी और मशीन की तरह घर की चार दीवारी में बंद करके रख दी गई.
अब स्त्री के सारे कार्यों का निर्णायक भी पुरुष ही बन गया. लड़की माता पिता का बोझ लगने लगी तथा उनमें किसी भी प्रकार उसका विवाह कर इस बोझ से मुक्त होने की भावना पनपने लगी.
परिवर्तन की लहर: आज समय ने पुनः करवट ली हैं. नारी चेतना जागृत हुई हैं. कर्तव्य तो वह युग युग से निभाती चली आई हैं. अब उसे अपने अधिकार का भी ज्ञान हुआ हैं.
समाज से संघर्ष करके, त्याग और साधना से उसने सिद्ध कर दिया हैं कि वह कोई बोझ नहीं हैं. उसमें न तो बुद्धि की कमी हैं न ही प्रतिभा की.
इनके जीते जागते उदहारण हैं इंदिरा गांधी, कल्पना चावला, सुनिता विलियम्स, किरण बेदी, सानिया मिर्जा, झूलन गोस्वामी आदि. आज की शिक्षित लड़कियों को सरकारी पद मिलने के साथ साथ प्राइवेट कम्पनियों में भी अच्छी से अच्छी नौकरी मिल रही हैं.
उपसंहार: आजकल पढ़ लिखकर लड़की अपना बोझ तो क्या, अपने परिवार का बोझ भी अपने कंधों पर उठाने का सामर्थ्य रखती हैं. अतः माता पिता और समाज को यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि लड़की बोझ नहीं हैं, अपितु समाज का एक मजबूत स्तम्भ हैं.
लड़की बोझ नहीं होती है छोटा निबंध girl is not a burden short essay
आपने प्रियंका चोपड़ा, सुष्मिता सेन, ऐश्वर्या राय, एकता कपूर, किरण बेदी, लारा दत्ता, कल्पना चावला, पीटी ऊषा, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल के बारे में सुना ही होगा। यह सभी भी लड़कियां ही है और किसी की बेटियां हैं।
जहां तक हमें पता है कि अब आपको आपका जवाब मिल भी गया होगा कि लड़कियां बोझ नहीं होती है, क्योंकि जब यह सभी लड़कियां होने के बावजूद सफलता की ऊंचाइयों को छू सकती है, तो आपकी लड़की भला ऐसा क्यों नहीं कर सकती।
एक बार उसका साथ तो दे करके देखिए, फिर देखिए कैसे वह आपको गर्व की अनुभूति करवाती है। हमारे देश की प्रधानमंत्री भी एक महिला ही रह चुकी है जो किसी की बेटी थी।
इस संसार को चलाने के लिए और संसार को आगे बढ़ाने के लिए भगवान ने पुरुष को बनाया है तो वहीं महिला को भी बनाया है क्योंकि पुरुष अकेले संतान की उत्पत्ति नहीं कर सकता।
संतान की उत्पत्ति करने का अधिकार सिर्फ महिलाओं के पास है, क्योंकि भगवान ने संतान की उत्पत्ति करने का अधिकार महिलाओं को ही दिया है। हालांकि इसमें पुरुषों की भी सहभागिता होती है।
इस प्रकार आप ही विचार करें कि अगर आप लड़की को बोझ समझेंगे, तो लड़कियां पैदा ही नहीं होंगी तो फिर इस संसार की गतिविधियां कैसे आगे बढ़ेगी।
इंसानों की घमंडी सोच और अपने आप को ही सर्वमान्य मानने की समझने उसके अंदर अभिमान पैदा कर दिया है और वह यही सोचता है कि पूरे समाज का कर्ताधर्ता सिर्फ वही है परंतु ऐसा नहीं है एक स्त्री इंसानों से भी काफी ज्यादा कठोर होती है, उसके अंदर बराबर मात्रा में ममता भी होती है और कठोरता भी होती है। आप एक स्त्री के साथ जिस प्रकार का व्यवहार करेंगे वैसा ही व्यवहार आपको वापस मिलेगा।
कुछ लोग लड़कियों को इस कदर बोझ मानते हैं कि, वह उन्हें पैदा ही नहीं होने देते हैं और अगर किसी प्रकार से लड़की पैदा भी हो जाती है, तो उसे काफी बंदिशें में रखते हैं परंतु बता दें कि अब आज के आधुनिक जमाने में लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं है।
यहां तक कि तो कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर लड़कियां लड़कों से आगे निकल गई हैं। हर साल 10वीं और 12वीं की बोर्ड की एग्जाम में अधिकतर टॉपर लड़कियां ही होती हैं।
इसके अलावा अब हॉकी और क्रिकेट जैसे खेल में भी लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। कई लड़कियां विदेशों की कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद को प्राप्त करने में सफल हो रही हैं और कुछ लड़कियां तो ऐसी है जो अपना ही नहीं बल्कि अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा रही हैं।
लड़कियों को अगर आगे बढ़ने का मौका दिया जाए तो वह लड़कों से भी आगे निकलने का दम रखती है। हालांकि यह वही संभव है जहां पर खुले सोच के लोग रहते हो
लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए मुख्य तौर पर शिक्षा की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर आप अपनी बेटियों को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं,
तो आपको उन्हें अच्छे से पढ़ाना लिखाना चाहिए क्योंकि आज आप उनके पीछे जो निवेश करेंगे, कल को सफल हो जाने पर आपकी बेटी उससे ज्यादा आपको लौटा देगी।