संत रामपाल जी महाराज की जीवनी Sant Rampal Ji Maharaj History In Hindi: सतलोक आश्रम हिंसार हरियाणा के संस्थापक और कबीर पंथी संत रामपाल एक धार्मिक गुरु हैं.
कई प्रकरणों के चलते उन्हें बार बार जेल जाना पड़ा. आज भी ये जेल में हैं. इनके लाखों भक्त समय समय पर संत की रिहाई की गुहार भी लगाते हैं.
आज की बायोग्राफी में हम संत रामपाल के जीवन के बारे में जानेगे.
संत रामपाल जी महाराज की जीवनी Rampal Ji Maharaj History In Hindi

संत रामपाल जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गाँव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा के एक किसान परिवार में हुआ था. पढाई पूरी करके हरियाणा प्रान्त में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे.
सन 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए गये भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया.
संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि को प्राप्त हुई. उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष की थी. उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है.
सन 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल को सत्संग करने की आज्ञा दी और वर्ष 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की.
भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण जे.ई. की पोस्ट से त्याग पत्र दे दिया, जो हरियाणा सरकार द्वारा 16 मई 2000 को स्वीकृत किया गया.
वर्ष 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, गाँव गाँव, नगर नगर में जाकर सत्संग किया. बहु संख्या में अनुयायी हो गये, साथ ही साथ ज्ञान हीन संतों का विरोध बढ़ता गया.
वर्ष 1999 में गाँव करौंथा जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की तथा एक जून 1999 से 7 जून 1999 तक परमेश्वर कबीर जी के प्रकट दिवस पर सात दिवसीय विशाल सत्संग का आयोजन करके आश्रम का प्रारम्भ किया
तथा महीने की प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिन का सत्संग प्रारम्भ किया. तथा महीने की प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिन का सत्संग प्रारम्भ किया. दूर दूर से श्रद्धालु सत्संग सुनने आने लगे तथा तत्वज्ञान को समझकर बहुसंख्या में अनुयायी बनने लगे.
चंद दिनों में संत रामपाल जी के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुचने लगी. जिन ज्ञानहीन संतों व ऋषियों के संत रामपाल जी के पास आने लगे तथा अनुयायी बनने लगे.
उन अज्ञानी आचार्य तथा संतों से प्रश्न करने लगे कि आप सर्व ज्ञान अपने सद्ग्रंथों के विपरीत बता रहे हो. अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के भय से उन अज्ञानी संतों व महतों व आचार्यों ने सतलोक आश्रम करौंथा के आसपास के गाँवों में संत रामपाल जी महाराज को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया.
तथा 12 जुलाई 2006 को संत रामपाल को जान से मारने तथा आश्रम को नष्ट करने के लिए आप तथा अपने अनुयायियों ने सतलोक आश्रम पर आक्रमण करवाया.
पुलिस ने रोकने की कोशिश की, जिस कारण कुछ उपद्रवकारी चोटिल हो गये. सरकार ने सतलोक आश्रम को अपने अधीन कर लिया तथा संत रामपाल जी महाराज व कुछ अनुयायियों पर झूठा केस बनाकर जेल में डाल दिया.
संत बनने और लोकप्रियता मिलने के उतनी ही देरी में संत रामपाल जी के साथ विवादों ने नाता जोड़ना शुरू कर दिया था. वर्ष 2006 में सत्यार्थ प्रकाश पर एक टिप्पणी के चलते उन पर देश भर में कई मुकदमें हुए.
बवाल यही नहीं थमा आर्य समाज के हजारों लोगों ने 12 जुलाई के दिन सतलोक आश्रम पर धावा बोल दिया. दूसरी तरफ से संत रामपाल के साधनों ने भी जवाबी कार्यवाही की और एक भयंकर झड़प हो चुकी थी.
इस आपसी झडप में एक सोनू नामक आर्यसमाजी की मृत्यु हो गई और इस प्रकरण में रामपाल पर हत्या का मुकदमा चला उन्हें पुलिस ने मामले की गर्माहट में गिरफ्तार कर लिया और कुछ माह जेल में बीताने के बाद 2008 में इन्हें जमानत पर छोड़ दिया.
वर्ष 2014 के नवम्बर माह में कोर्ट ने संत रामपाल को गिरफ्तार करने को कहा गया मगर सतलोक आश्रम में लाखों समर्थकों के बीच से पुलिस ने जाने की हिम्मत नहीं की.
आखिर पुलिस ने मौका पाकर 19 नवम्बर 2014 को आश्रम में प्रवेश कर लिया, पुलिस और आश्रम के लोगों के बीच झड़प भी हुई. इस झड़प में पांच महिलाओं समेत एक बालक की मृत्यु हो गई.
पुलिस ने इन निर्दोषों की हत्या का अपराध रामपाल पर डालकर मुकदमा दर्ज किया, मगर 29 अगस्त 2017 को रामपाल बरी हो गये. मगर पुराने केस के चलते वे हत्या और देशद्रोह के केस में जेल में बंद हैं.
ये बाबा लोग पूरी दुनिया को माया और लोभ बताते है और खुद माया और लोभ की गहराई में फसे रहते है । आपके माया और लोभ त्याग दो बोलने के लिए मोती रकम लेते है आलीशान महलो में रहते है सर्व सुविधाओं में जीते है ।
आश्रम वेबसेरीज़ इसका अच्छा उदाहरण है । भारत देश मे निम्नन और उच्च कोटि के अधिकाधिक बाबा संत सब विलासता का जीबन जीते है और भक्त का हल बेहाल है ।