मुर्गी पालन की जानकारी Poultry Farming Guide In Hindi:- आज के समय में लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाला क्षेत्र बन चुका हैं.
देशी मुर्गी पालन की जानकारी मुर्गी ट्रेनिंग सेंटर द्वारा दी जाती हैं. इस संबंध में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मुर्गीपालन योजना एवं लोन की शुरुआत भी की हैं.
देशी मुर्गी पालन के नियम एवं प्रशिक्षण के बारे में संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध करवा हैं. जिससे आप जिससे आप मुर्गीपालन आसानी से खोल सकते हैं.
मुर्गी पालन की जानकारी Poultry Farming Guide In Hindi

मुर्गीपालन का प्रमुख उद्देश्य अंडे व मांस प्राप्त करना हैं. इसके अतिरिक्त पंख, खाद, रक्त आदि उप-उत्पाद भी प्राप्त होते हैं. अण्डों व मांस के रूप में मुर्गी पालन उद्योग देश की प्रोटीन आवश्यकता के एक बड़े अंश की पूर्ति करता हैं.
मुर्गी पालन कैसे करे
देशी भारतीय मूल की मुर्गी की नस्लें जैसे लाल जंगली मुर्गी, असील चटगाँव, हागस, बुस्त्रा आदि हैं. इनका पालन मुख्यतः मांस प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता हैं.
विदेशी नस्लें जैसे रोडे आइलैंड रेड प्लाईमाउथ, रॉक लैंग्सहॉर्न, वाइट लेगहॉर्न प्रमुख हैं. व्हाईट लेगहॉर्न सर्वाधिक अंडे देने वाली मुर्गी की नस्ल हैं.
आवास तथा भोजन:- मुर्गियों की अच्छी वृद्धि एवं स्वस्थ रखने हेतु सुरक्षित आवास व पौष्टिक भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए.
आवास किसी ऊँचाई वाले स्थान पर होना चाहिए. आवास के आस-पास पानी एकत्र नहीं होना चाहिए तथा आवास में हवा, प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
भोजन के रूप में पीली मक्का, जौ, मूंगफली की खल, गेहूं की चापड़, चावल का कुंदा, ज्वार/मछली का चूरा, चूना युक्त कंकड़, लवण आदि देने चाहिए.
स्वास्थ्य:-मुर्गियों में संक्रामक खासी, मैरेक्स. रानीखेत, प्लेग, शीतला आदि प्रमुख वायरस जनित रोग होते हैं. इन रोगों से बचाव के लिए उचित टीकाकरण करवाना चाहिए.
ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन
छोटे ग्रामीण इलाकों में कुक्कुट पालन से कृषकों के लिए अतिरिक्त आय का साधन हैं. मुर्गी की बीट (विष्ठा) एक तरह की कपोस्ट खाद हैं. जिससे खेती के उत्पादन पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैं.
हरेक मुर्गी महीने में 15 से 20 अंडे देती हैं. तथा मुर्गा चार पांच महीने का होने पर बिक्री के लायक हो जाता हैं, जिनकी बाजार में अच्छी डिमांड होती हैं.
इस तरह से कृषक खेती व पशुपालन के साथ कुक्कुट पालन का व्यवसाय भी कर सकते हैं. 40-50 मुर्गी की विष्ठा से अत्यधिक मात्रा में खेती के पौष्टिक तत्व मिलते हैं, जो एक गाय अथवा भैंस के गोबर के बराबर होता हैं.
देसी मुर्गी पालन कैसे करें
कुक्कुट पालन में अधिक लाभ कमाने के लिए सबसे पहली आवश्यकता अच्छी नस्ल की मुर्गी का पता करना होता हैं. विदेशी नस्ल की मुर्गी की तुलना में आज के समय में देशी मुर्गी के अंडे व मांस की अधिक मांग रहती हैं.
अधिक लाभ देने वाली तीन प्रमुख मुर्गी नस्लों के बारे में आपकों यहाँ बता रहे हैं. यदि आप देशी मुर्गी पालन की शुरुआत करना चाहते हैं, तो अधिक लाभ के लिए आपकों इन तीन नस्ल की तरफ अवश्य देखना चाहिए.
ग्रामप्रिया –अंडे व अच्छे मॉस के लिए सबसे अधिक पाली जाने वाली नस्ल ग्रामप्रिया हैं. इस नस्ल की एक मुर्गी 9 से दस महीनों में १२० से १५० तक अंडे दे देती हैं. तथा इस समय तक मुर्गी की वजन किलों से सवा किलों तक हो जाता हैं.
श्रीनिधि प्रजाति की मुर्गी –भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित देशी नस्ल है. जो तीन रंग की होती हैं, इस नस्ल की यह मुख्य विशेषता हैं.
कि इन पर न तो अधिक खाने का खर्चा आता है और ना ही इन्हें बीमारियों के संक्रमण का खतरा रहता हैं. लगभग 100 दिनों में इस नस्ल की मुर्गी का वजन ढ़ाई किलों तथा सालभर में यह 150 अंडे दे देती हैं, अंडे का वजन 60 ग्राम तक हो जाता हैं.
वनराजा –कुक्कुटपालन परियोजना निदेशालय, हैदराबाद द्वारा इस नस्ल को तैयार किया गया. ग्रामीण तथा आदिवासी इलाकों में पालन के लिए यह सबसे अच्छे नस्ल की मुर्गी हैं.
जो तीन महीनों में डेढ़ सौ अन्डो तक का उत्पादन कर देती हैं. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पिछवाड़े में पालन के लिए उपयुक्त पक्षी
इन तीन नस्ल की मुर्गियों को आप अधिक फायदा कमाने के लिए पाल सकते हैं, इनके अतिरिक्त मुर्गी की नस्लें निम्न हैं.कारी निर्भीक (एसील क्रॉस), कारी श्यामा (कडाकानाथ क्रॉस), हितकारी (नैक्ड नैक क्रॉस), उपकारी (फ्रिजल क्रॉस),
लेयर्स कारी प्रिया लेयर, कारी सोनाली लेयर (गोल्डन- 92).कारी देवेन्द्र, ब्रायलर कारीब्रो – विशाल( कारीब्रो-91), कारी रेनब्रो (बी-77), कारीब्रो-धनराजा (बहु-रंगीय),
कारीब्रो- मृत्युंजय (कारी नैक्ड नैक), कोयल, कारी उत्तम, कारी उज्जवल, कारी स्वेता, कारी पर्ल, गिनी कुक्कुट / गिनी मुर्गा, टर्की कारी-विराट.
मुर्गी पालन हेतु ऋण योजना
ऐसे व्यक्ति जिनके पास मुर्गी-पालन का पर्याप्त अनुभव या प्रशिक्षण हो और पॉल्ट्री शेड के निर्माण के लिए भूमि हो, वो SBI की इस लोन योजना का लाभार्थी हो सकता हैं.
पॉल्ट्री शेड, फीड रूम तथा मुर्गीपालन के लिए अन्य सुविधाओं के लिए यह ऋण उपलब्ध करवाया जाता हैं. इस योजना का मार्जिन 25% रखा गया हैं.
द्वैमासिक किस्तों में 6 महीने की अनुग्रह अवधि के साथ 5 वर्ष में इस ऋण को चुकाया जा सकता हैं. इस मुर्गीपालन लोन योजना के आवेदन फॉर्म और अन्य जानकारी के लिए कृषि कार्य करने वाली अपनी निकटतम एसबीआई शाखा से संपर्क करें.
Rajasthan Murgi Palan Loan Yojana
राजस्थान सरकार भी मुर्गीपालन प्रोत्साहन व संवर्धन की दिशा में इस योजना को चला रही हैं, जिसका नाम हैं. Rajasthan Murgi Palan Loan Yojana राज्य सरकार द्वारा इसके तहत मुर्गीपालकों को आसान वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती हैं.
यह ऐसे लोगो के लिए कारगर हो सकती हैं, जो लोग नया मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं. इस योजना के अंतर्गत ₹139 से लेकर ₹309 तक प्रति पक्षियों की दर से 5 वर्ष की अवधि तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है |
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