sachidanand hiranand vatsyayan Agyeya Biography in Hindi: हिंदी के कवि, लेख, निबंधकार एवं पेशे से शिक्षक अज्ञेय का जीवन परिचय आज पढ़ेगे. हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद के जनक के रूप में अज्ञेय को याद किया जाता हैं.
तारसप्तक नाम से इनका कविता संग्रह प्रकाशित हैं. आज हम अज्ञेय की जीवनी, इतिहास, रचनाएं, लेखन शैली के बारें में इस बायोग्राफी में विस्तार से पढ़ेगे.
अज्ञेय का जीवन परिचय | Agyeya Biography in Hindi

जीवन परिचय बिंदु | अज्ञेय जीवन परिचय |
पूरा नाम | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन |
जन्म | 7 मार्च 1911 |
जन्म स्थान | कसया, उत्तर प्रदेश, भारत |
पहचान | लेखक, कवि |
अवधि/काल | आधुनिक काल में प्रगतिवाद |
यादगार कृतियाँ | आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार |
अज्ञेय का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफी
मनोवैज्ञानिक कहानी के पुरोधा अज्ञेय जैनेन्द्र की पीढ़ी के रचनाकार हैं. इनका जन्म 1911 में जिला गोरखपुर के गाँव कसिया में हुआ था. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा वहीँ हुई. बाद में पिता की सरकारी नौकरी के चलते इन्होने लाहौर विश्वविद्यालय से बीएस सी परीक्षा ऊतीर्ण की.
एम ए अंग्रेजी साहित्य में करते हुए ये स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े और जेल भी गये. इन्होने कुछ समय तक फौज में भी नौकरी की एवं आसाम के जंगलों में घुमते रहे. अज्ञेय घुमक्कड़ी स्वभाव के रहे हैं. सुदूर दक्षिण भारत से लेकर उत्तर पूर्वी भारत के कई स्थानों पर रहे.
अज्ञेय ने अपने विश्वविद्यालयों में अपनी सेवाएं दी. जोधपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कुछ समय तक कार्यरत रहे. ये यहाँ फ्रेंच भाषा पढ़ाते थे. अज्ञेय का रहस्यमय जीवन बड़ा उथल पुथल पूर्ण रहा. एकाधिक विवाह किये, किन्तु दाम्पत्य सुख में विफल ही रहे.
अज्ञेय का व्यक्तित्व बहुमुखी था. वे एक सफल वक्ता, कवि, उपन्यासकार, संसमरणकार एवं यात्रा लेखक के रूप में स्मरण किये जाते हैं. ये स्पष्टवादी, गम्भीर चिंतक एवं अन्तर्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे.
लोगों से कम मेल मुलाक़ात करना एवं अधिक घुल मिल जाना इन्हें प्रिय नहीं था. इनका जीवन सतत रूप से लेखन कार्य में ही व्यतीत हुआ.
ये निबंधकार और आलोचक थे. इन्होने विदेश यात्राएं भी की. साहित्यिक क्षेत्र में ये पश्चिम के कवि समीक्षक इलियट से अधिक प्रभावित थे. इनकी कविताओं में वैयक्तिक अहं का चित्रण अधिक हुआ हैं.
अज्ञेय की प्रमुख कृतियाँ
अज्ञेय का रचना संसार विविधतापूर्ण हैं. उन्होंने अनेक मनोवैज्ञानिक कहानियाँ उपन्यास आदि रचे हैं. प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं.
- कहानी संग्रह – परम्परा, विपथगा, जयदोल, शरणार्थी
- प्रसिद्ध कहानियाँ– सेव और देव, हीली बोन की बतखें
- उपन्यास – इन्होने तीन उपन्यास लिखे शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप तथा अपने अपने अजनबी.
- काव्य रचनाएँ – आँगन के द्वार पार, दूर्वा, हरी घास पर क्षण भर, अरी ओ करुणा प्रभामय, चिंता, कितनी नावों में कितनी बार, असाध्यवीणा, इत्यलम, भग्नदूत इत्यादि.
- निबंध – त्रिशंकु, संस्कृति परक स्फुट निबंध.
अज्ञेय जी को कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्यकृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चूका हैं. इसके अतिरिक्त भारतव्यापी अनेक संस्थाओं से भी आप सम्मानित हो चुके हैं.
आप प्रयोगवादी काव्य धारा के जनक माने जाते हैं. तार सप्तक नामक काव्य संकलन के चार भागों में लगभग 28 नयें कवियों को हिंदी जगत से अवगत कराने का अनूठा कार्य किया हैं ये सभी प्रयोगवादी, नई धारा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं.
इन्होने दिनमान नामक साप्ताहिक पत्र के सम्पादक पद पर कार्य करते हुए उसे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नया मुकाम प्रदान किया. इसके पहले प्रतीक एवं नई कविता नामक पत्रिकाओं का सम्पादन भी कर चुके हैं.
अज्ञेय की कहानी कला व विशेषताएं
मनोवैज्ञानिक कथाकार अज्ञेय ने अपनी कहानियों में मानव मन की विविध गुत्थियों को सुलझाने की चेष्टा की हैं. इनकी कहानियाँ मानवीय औदात्य को जीवन के यथार्थ धरातल पर उजागर करने में सफल रही हैं.
कहानी के कथानक रोचक एवं संगठित होते हैं. रोचकता के साथ उसमें रोमांच की अनुभूति होती हैं. उनकी कहानियों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.
घटना प्रधान, चरित्र प्रधान एवं वातावरण प्रधान. क्रमश सेव और देव, शरणार्थी एवं रोज कहानियों को ले सकते हैं. सेव और देव का प्रोफेसर गजानन वर्मा पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार होते हैं. वे कुमाऊ घाटी में आये थे.
प्राचीन मन्दिरों की मूर्तियों का अवलोकन करने किन्तु एक बालक द्वारा सेव चुराने की घटना और उसे थप्पड़ मारने की घटना को स्मरण कर उनका ह्रदय परिवर्तन हो जाता हैं.
क्योंकि वे स्वयं देवी मंदिर से काली की प्रतिमा चुरा लाए थे जिसे बाद में उलटे पाँव लौटाकर यथास्थान रख आते हैं. उनका चरित्र एक स्वार्थी एवं लोभी व्यक्ति का हैं.
सेव चुराने की एक घटना उन्हें इंसानियत एवं सचचाई की दहलीज पर ला खड़ा करती हैं. कहानी के अंत में वे सोचते है कि यह लड़का को सेव चुराकर भाग रहा था किन्तु मैं तो देव ही चुरा लाया.
अज्ञेय की शरणार्थी कहानी हिन्दू मुस्लिम दंगों एवं विभाजन की पीड़ा को व्यंजित करती हैं. जिसमें हिन्दू परिवार का मुखिया दंगों का शिकार होता है और अपने मुस्लिम दोस्त के यहाँ छिपकर चरण लेता हैं,
परन्तु उसके मुस्लिम मित्रों को पता चलता है कि एक काफिर को शरण दी गई है तो वह मुस्लिम दोस्त धार्मिक कट्टरता की आड़ में अपने हिन्दू मित्र को मारने हेतु भोजन में जहर देता है,
जिसे उसकी घर की बेटी खा लेती है और भोजन के साथ एक पर्ची लिखकर सचचाई बता देती है, जिससे वह हिन्दू मुखिया खिड़की से भाग निकलता है और अपने प्राण बचा लेता हैं.
अज्ञेय की कहानियाँ उद्देश्यपूर्ण हैं. उन्होंने ग्रामीण और शहरी जीवन दोनों प्रकार की कहानियाँ लिखी हैं. आज के दौर में आर्थिक सम्पन्नता पाने के लिए रिश्ते को भुला देते है और सब कुछ होते हुए भी व्यक्ति का मन विपन्नता का अनुभव करता हैं. इसे व्यक्त करने में लेखक को सफलता मिली हैं.
अस्तु, अज्ञेय के पात्र संवेदनशील, भावुक, यथार्थवादी एवं मानवीय दुर्बलताओं से युक्त होते हैं. मन कब खिन्न हो उठता है इसका मनोवैज्ञानिक कारण लेखक ने प्रस्तुत किया हैं.
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” की मृत्यु | Agyeya Death
1964 में साहित्य अकादमी अवार्ड, 1978 में ज्ञानपीठ अवार्ड, 1983 में गोल्डन माला पुरस्कार जैसे बड़े सम्मानों से नवाजे गये अज्ञेय जी का देहावसान 4 अप्रैल 1987 को हो गया था.
हिंदी साहित्य की इस महान विभूति को यथार्थ दर्शन को मुखर रूप से कलमबद्ध करने वाले साहित्यकार थे. देश और समाज उन्हें सदियों तक याद रखेगा.