Gautama Maharishi Story In Hindi | गौतम महर्षि की कहानी इतिहास : भारतीय ऋषि परम्परा में महर्षि गौतम का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता हैं ऋग्वेद में भी इनके बारे में उल्लेख मिलता हैं.
वे वैदिक काल के एक महर्षि एवं मन्त्र द्रष्टा थे उनकी पत्नी का नाम अहिल्या था जिसके बारे में रामायण में भी उल्लेख आता हैं. गौतम जयंती के अवसर पर हम गौतम ऋषि एवं अहिल्या की कहानी आपकों बता रहे हैं.
Gautama Maharishi Story In Hindi | गौतम महर्षि की कहानी इतिहास

gautam rishi and ahilya story in hindi: अहिल्या ऋषि गौतम के श्राप के चलते पत्थर बन गयी थी जिस पर भगवान श्रीराम के चरण लगते ही वह फिर से जीवित हो गयी थी.
बताया जाता हैं कि ब्रह्माजी ने श्रेष्ट गुणों से अहिल्या को बनाया, उनके बाद अहिल्या की देखभाल के लिए एक योग्य व्यक्ति की तलाश में थे. ऋषि गौतम सर्व ज्ञानी तथा बुद्दिमान भी थे अतः उन्होंने अहिल्या के युवा होने पर ऋषि के यहाँ भेज देगे.
जब अहिल्या बड़ी हुई तब ब्रह्माजी उन्हें महर्षि के आश्रम ले गये तथा इस बात का निर्णय किया कि वे उनकी शादी किसी साधु से ही करेगे मगर इस शर्त यह रखी कि जो कोई पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले आएगा, उसी का विवाह अहिल्या से होगा.
सभी देव तथा ऋषि पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए चल पड़ते हैं उसी समय ऋषि गौतम की कामधेनु गाय बछड़े के जन्म दे रही थी, ऋषि उसकी मदद कर रहे थे. जब अहिल्या ने उनका त्याग व प्रेम देखा तो उन्ही से विवाह करने की इच्छा जताई.
अब अहिल्या की इच्छा के मुताबिक़ ब्रह्माजी ने उनका विवाह गौतम ऋषि से सम्पन्न करवा दिया. सभी देवता और ऋषि इस विवाह से पूरी तरह इर्ष्या के भाव में थे.
अहिल्या गौतम के विवाह से सबसे अधिक दुखी इंद्र हुए, क्योंकि वे अहिल्या को जब से ब्रह्माजी ने बनाया वे उन्हें पाने के लिए पागल थे.
उन्होंने अपनी वासना की तृप्ति के लिए एक योजना भी बनाई मगर वे इसमें नाकामयाब रहे थे. इंद्र ने अब एक नया जाल बुना तथा जब गौतम ऋषि अपने आश्रम में नहीं थे तो वह उनका भेष बनाकर आश्रम में गया.
उसने अहिल्या से प्रणय की प्रार्थना कि कुछ कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता हैं कि यह इंद्र का धोखा था जिसे अहिल्या समझ नहीं पाई वहीँ कुछ में बताया जाता हैं वह यह जानते हुए कि ऋषि के भेष में इंद्र हैं फिर से उसने उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने की स्वीकृति दी.
यह सब कुछ होने के बाद जब इंद्र ऋषि की कुटिया से बाहर निकले तो गौतम ऋषि ने उन्हें देख लिया. वे सब कुछ समझ गये तथा क्रोध में उन्होंने अहिल्या को पत्थर बन जाने का श्राप कर दिया,
लज्जा के मारे जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और वह पत्थर बन गयी. ऋषि को कुछ समय बाद जब क्रोध शांत होता हैं तो वे अहिल्या को श्राप मुक्ति का उपाय देते हैं कि जब श्रीराम के कदम तुम्हे स्पर्श करेगे तब तुम श्राप मुक्त हो जाओगी.
एक बार गुरु विश्वामित्र भगवान् राम के साथ भ्रमण कर रहे थे तो जब उन्होंने गौतम ऋषि के सुने पड़े आश्रम के बारे में जाना तो विश्वामित्र ने उन्हें अहिल्या की पूरी कहानी बताई जिसे सुन भगवान् राम ने श्राप मुक्त किया.
गौतम ऋषि के क्रोध का परिणाम इंद्र को भी भुगतना पड़ा, चूँकि उन्होंने अहिल्या के स्त्री धर्म को नष्ट किया अपनी वासना की पूर्ति के लिए पराई नारी पर नजर डाली ऋषि ने श्राप दिया कि तेरे शरीर पर हजार स्त्री यौनी उत्पन्न होगी.
कुछ ही वक्त में इंद्र का शरीर स्त्री यौनी से भर गया तो वह गिदगिड़ाकर ऋषि से क्षमा याचना करने लगा इस पर ऋषि गौतम ने उन यौनियों को आँखों में बदल दिया.
ब्रह्मा से हुई उत्पति
अहिल्या की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा की गई थी और उन्होंने जब अहिल्या की उत्पत्ति की तब उसमें काफी उच्च गुण भी डाले थे परंतु अहिल्या की उत्पत्ति करने के पश्चात वह ऐसे व्यक्ति की भी तलाश कर रहे थे जो काफी गुणवान हो ताकि वह सही प्रकार से अहिल्या की देखभाल कर सकें.
इसके लिए ब्रह्मा जी की खोज महर्षि गौतम के पास जाकर के समाप्त हुई, क्योंकि महर्षि गौतम एक ज्ञानवान व्यक्ति थे। इसलिए अहिल्या जब बड़ी हो गई तो ब्रह्मा जी के द्वारा महर्षि गौतम को अहिल्या को अपने साथ ले जाने के लिए कहा गया।
जब अहिल्या बढ़ी हुई
अहिल्या के बड़ी हो जाने के पश्चात गौतम ऋषि भगवान ब्रह्मा के पास अहिल्या को लेने के लिए गए और तब इस बात का डिसीजन लिया गया कि किसी साधु से ही अहिल्या का विवाह होगा।
अहिल्या का विवाह
गौतम ऋषि के द्वारा जब अहिल्या को लेने के लिए ब्रह्मा जी के दरबार में जाया गया तो ब्रह्मा जी के द्वारा इस शर्त को रखा गया कि पूरी सृष्टि का जो सबसे पहले चक्कर लगाकर के आएगा उसी के साथ अहिल्या की शादी करवाई जाएगी.
इसके पश्चात सभी देवता और अन्य गणमान्य लोग सृष्टि के चक्कर लगाने निकल पड़े, तभी अहिल्या यह देखती है कि गौतम ऋषि कामधेनु गाय का प्रसव करवा रहे हैं और अहिल्या यह देख करके काफी खुश होती है और गौतम ऋषि से ही शादी करने की बात कहती है।
अहिल्या और महर्षि गौतम की शादी
इस प्रकार से महर्षि गौतम और अहिल्या का आपस में विवाह होता है परंतु दूसरे देवता इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं होते हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि देवराज इंद्र को भी अहिल्या काफी पसंद थी.
इसीलिए जब उन्हें अहिल्या प्राप्त नहीं हुई तो इंदिरा जी ने अपनी वासना को शांत करने के लिए एक षड्यंत्र रचा और उसमें वह खुद ही फंस गए थे।
देवराज इंद्र का इंद्रजाल
गौतम ऋषि का वेश धारण करके एक बार इंद्र उनके आश्रम में जाते हैं और अहिल्या से समागम का निवेदन करते हैं। इस पर अहिल्या राजी हो जाती है और वह देवराज इंद्र के साथ समागम करती हैं।
कई जगह पर इस बात को भी बताया गया है कि अहिल्या यह जान गई थी कि गौतम ऋषि का वेश धारण करके देवराज इंद्र ही आय हैं परंतु अहिल्या के मन में यह घमंड आ गया था कि वह इतनी सुंदर है कि स्वयं देवराज इंद्र उनके साथ समागम करना चाहते हैं.
इसी वजह से अहिल्या देवराज इंद्र के साथ संबंध बनाने को तैयार हो जाती है। वहीं कुछ जगह पर यह भी लिखा है कि अहिल्या यह नहीं जान पाई थी कि देवराज इंद्र उनके पति का रूप धर के आए हैं।
गौतम ऋषि का क्रोध
इंद्र को अपने ही आश्रम से अपने ही रूप में जब बाहर जाते हुए गौतम ऋषि ने देखा तो उन्हें एक ही बार सारी बात समझ में आ गई और उन्होंने अहिल्या को यह श्राप दिया कि वह पत्थर की बन जाएंगी।
इसके पश्चात कोई गलती ना होने के बावजूद भी अहिल्या ने पति के श्राप को स्वीकार किया और जिंदगी भर पत्थर बनकर के रही और जब गौतम ऋषि का गुस्सा शांत हुआ.
उन्होंने अहिल्या को यह भी आशीर्वाद दिया कि जब भगवान श्रीराम उनके चरणों को छू लेंगे तो वह श्राप से मुक्त हो जाएंगी। इंद्र के द्वारा किए गए अजीबोगरीब काम की वजह से ही उनकी गिनती देवता में होती हैं परंतु उनकी पूजा नहीं की जाती है।
भगवान श्रीराम ने किया उद्धार
भगवान श्री रामचंद्र जी एक बार गुरु विश्वामित्र के साथ विचरण कर रहे थे और विचरण करते करते वह उसी सुनसान पड़े हुए आश्रम में पहुंचे जो आश्रम गौतम ऋषि का था।
आश्रम में पहुंचने के पश्चात उन्होंने अहिल्या रूपी पत्थर को देखा और इसके पश्चात विश्वामित्र गुरू के द्वारा भगवान श्री राम को सारी घटना बताई गई।
इसके पश्चात भगवान श्रीराम ने पत्थर को छुआ और इस प्रकार से अहिल्या स्त्री के रूप में प्रकट हुई और अहिल्या का उद्धार हुआ।