आईपीसी धारा 362 क्या है | IPC Section 362 in Hindi अपहरण की कानूनी धारा सजा : National Human Rights Commission of India के तहत भारत में हर साल 40,000 बच्चों का अपहरण किया जाता है जिनमें से 11,000 बच्चों को पुलिस कभी तलाश ही नहीं कर पाती हैं।
इतनी अधिक मात्रा में हर साल बच्चों का अपहरण सिर्फ इसीलिए किया जाता है क्योंकि लोगों ये बात सही से पता ही नहीं है कि अपहरण की सजा क्या है ?
आईपीसी धारा 362 क्या है | IPC Section 362 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 362 के अंतर्गत अपहरण के लिए काफी सख्त सजा तय की गई है अगर आप जानना चाहते हैं कि आईपीसी धारा 362 क्या है ?
इसके अंतर्गत नियम और सजा का प्रावधान क्या है? तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें क्योंकि इस आर्टिकल में हमने आपको धारा के बारे में पूरी जानकारी दी हैं।
आईपीसी धारा 362 क्या है ?
आईपीसी धारा 362 में यह बात स्पष्ट की गई है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने की कोशिश करता है या फिर किसी गलत तरीके से व्यक्ति को अपने साथ जाने के लिए उकसाता है तो वो अपहरण माना जाएगा।
धारा 362 के अंतर्गत अपहरण की परिभाषा को व्यक्त करते हुए कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को जबरदस्ती अपने साथ ले जाना तभी अपहरण कहलाएगा जब उसका उद्देश्य गलत हो।
मतलब आप ये समझ सकते हैं कि किसी व्यक्ति को कोई दूसरा अपराध करने के लिए जोर जबरदस्ती अपने साथ ले जाना अपहरण कहलाता है।
किस गतिविधि को धारा 362 के अंतर्गत शामिल किया गया है और किसे नहीं ?
अगर कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बलपूर्वक अपने साथ किसी अच्छे काम के लिए ले जाता है तो इस तरह की गतिविधि को अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि अपहरण में व्यक्ति की सोच देखी जाती है।
मतलब, अपहरणकर्ता का अपराध प्रमाणित करने के लिए आपको ये जानना भी जरूरी है कि अपहरणकर्ता ने किस कारण दूसरे व्यक्ति को अपने साथ ले जाने के लिए बल या धोखे का इस्तेमाल किया है ? जैसे –
अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार है और उसे इलाज की सख्त जरूरत है लेकिन फिर भी वो व्यक्ति अपना इलाज नहीं करवा रहा है तो ऐसे में कोई दूसरा व्यक्ति उन्हें अपने साथ जबरदस्ती ले जाकर उनका इलाज खुद करता है या फिर करवाता है तो यह कोई अपराध नहीं है और धारा 362 के तहत उस व्यक्ति को कोई सजा भी नहीं दी जाएगी।
ठीक इसके उल्टे अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को हानि पहुंचाने या फिर उसका सम्मान भंग करने के उद्देश्य से उसका अपहरण करता है तो इसे धारा 362 के तहत अपहरण करार दिया जाएगा और इसी धारा के तहत उसे सख्त सजा भी दी जाएगी।
उदाहरण के लिए आप यह समझ सकते हैं कि अगर कोई आदमी आपको चाकू दिखाकर ये कहता है कि तुम मेरे साथ चलो, वरना मैं तुम्हें मार दूंगा! तो इस तरह की गतिविधि करने वाले व्यक्ति को धारा 362 के अपहरण की परिभाषा के अंतर्गत अपराधी करार किया जाएगा।
अपहरण को प्रमाणित करने वाली चीजें क्या है ?
अपहरण के अंतर्गत यह सारी चीजें आती हैं –
- किसी को छल करके या फिर मजबूर करके अपने साथ ले जाना अपहरण की श्रेणी में आता है।
- गैरकानूनी हथियार दिखाकर किसी व्यक्ति पर बल प्रयोग कर उसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना अपहरण के अंतर्गत गिना जाता है।
- व्यक्ति अगर दूसरे व्यक्ति को अपने साथ किसी भी जगह पर ले जाने के लिए गाली या फिर धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल करता है तो वह भी अपहरण की श्रेणी में आएगा।
धारा 362 के तहत अपहरण किन-किन तरीकों से हो सकता है ?
धारा 362 में यह स्पष्ट किया गया है कि एक व्यक्ति का अपहरण दो तरह से आसानी से किया जा सकता है।
1. बल के प्रयोग से और
2. छल के प्रयोग से !
बल के प्रयोग से होने वाले अपहरण का उदाहरण
जैसा कि आप नाम पढ़ कर ही समझ सकते हैं कि वो अपहरण, जो जोर जबरदस्ती से की जाती हैं उसे बल द्वारा किए जाने वाला अपहरण कहते हैं। इस तरह के अपहरण में अपहरण कर्ता पीड़ित को जबरदस्ती अपनी शक्ति के बल पर एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाता हैं।
उदाहरण –
धारा 362 के तहत किसी भी व्यक्ति पर बलपूर्वक अपहरण का केस तब लगाया जाएगा जब वो व्यक्ति पीड़ित को बंदूक दिखाकर या फिर अपनी शारीरिक शक्ति का इस्तेमाल कर जबरदस्ती उसे अपने साथ ले जाएगा।
अपवाद
आईपीसी धारा 362 के अंतर्गत किसी व्यक्ति का अपहरण तब बलपूर्वक नहीं माना जाएगा जब पीड़ित व्यक्ति को पहले से ही यह अंदेशा हो कि जो अपहरणकर्ता है वो उसे बल प्रयोग से अपने साथ लेकर जाएगा लेकिन फिर भी वह उसके साथ चला जाए!
आसान शब्दों में कहें तो अगर आपको पता है कि सामने वाला व्यक्ति आपको जोर जबरदस्ती से अपने साथ कहीं ले जा सकता है और आप फिर भी उसके साथ चले जाते हैं तो ये घटना धारा 362 के अंतर्गत अपहरण की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी।
Case Study 1
State Of West Bengal vs Mir Mohammad Omar & Ors
29 August, 2000 को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के बिजनेसमैन THOMAS, J के अपहरण और मर्डर के लिए Mir Mohammad Omar & Ors के खिलाफ जो जजमेंट दिया था।
उस जजमेंट में यह साफ स्पष्ट था कि Mir Mohammad Omar & Ors ने पीड़ित व्यक्ति को पहले उसके दोस्त के घर से अपहरण किया और फिर पीड़ित के भाग जाने के बाद उसके पड़ोसी के घर से बलपूर्वक उसे अपने साथ ले गया था। यही वजह थी कि मोहम्मद उमर पर अपहरण की धारा लगाई गई थी।
छल के प्रयोग से होने वाले अपहरण का उदाहरण
यह अपहरण बल प्रयोग से होने वाले अपहरण का बिल्कुल उल्टा होता है क्योंकि ज इस अपहरण में व्यक्ति पर अपना शारीरिक जोर दिखा के उसका अपहरण किया जाता है वही
छल के प्रयोग से होने वाले अपहरण में बल प्रयोग नहीं बल्कि झूठ, लालच और धोखाधड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।
मतलब आप यह समझते हैं कि अगर कोई व्यक्ति आपको झूठ बोलकर बिहार ले जाने की जगह दिल्ली ले जाता है तो इस गतिविधि को धारा 362 के तहत छल के प्रयोग से होने वाली धारा में गिना जाता है।
इस तरह के अपहरण में जो पीड़ित व्यक्ति है उस पर किसी भी तरह के बल का प्रयोग नहीं किया जाएगा यहां तक की व्यक्ति को उकसाने के लिए भी अपहरणकर्ता का बल प्रयोग निषेध है।
उदाहरण –
जैसे मान लीजिए कि कोई बच्चा स्कूल जा रहा है लेकिन उस रास्ते में किसी अनजान व्यक्ति ने कोई लालच देकर बच्चे को स्कूल के जगह किसी और जगह पर चलने के लिए कहा तो इस तरह का अपहरण धारा 262 के अंतर्गत छल के द्वारा किए जाने वाले अपहरण में गिना जाएगा।
Case study 2
साल 1923 में Akbar Ali vs Raja Bahadur का एक केस हुआ था जिसमें एक लड़की का अपहरण कर लिया गया, उस लड़की ने अपहरणकर्ता से खुद को बचाने की काफी कोशिश की लेकिन फिर अपहरणकर्ता ने बीच रास्ते से उसे पकड़ लिया और अपने घर ले जाकर रुपए देने की कोशिश करने लगा ताकि उसकी ये बुरी हरकत लड़की को समझ में न आए।
इस तरह से जब भी किसी का अपहरण किया जाता है तो वह धारा 362 के अंतर्गत छल से होने वाले छल से किए जाने वाले अपहरण की श्रेणी में आता है।
अपहरण के केस में कितने साल की सजा होती है?
अगर कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के मर्जी के खिलाफ बलपूर्वक या फिर छल करते हुए उसे अपने साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का प्रयास करता है तो ऐसे हालात में अपराधी को या तो उम्र भर के लिए जेल में डाल दिया जाएगा.
या फिर 10 साल 20 साल की लंबी अवधि के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। साथ ही साथ अगर अपहरणकर्ता का अपराध बड़ा रहता है तो उसे आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है।