Kalibangan In Hindi: कालीबंगा सभ्यता civilization Of Kalibanga हिंदी में प्राचीन द्रषद्वती और सरस्वती नदी घाटी वर्तमान में घग्घर नदी का क्षेत्र में सैन्धव सभ्यता से भी प्राचीन कालीबंगा की सभ्यता पल्लवित और पुष्पित हुई.
वर्तमान में हनुमानगढ़ जिले में स्थित कालीबंगा ४००० ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन मानी जाती हैं. सर्वप्रथम 1952 ई में अमलानंद घोष ने इसकी खोज की और इसके बाद 1961 से 1964 ई के मध्य श्री बी बी लाल, श्री बी के थापर एवं एम डी खरे द्वारा यहाँ उत्खनन कार्य करवाया गया.
Kalibangan In Hindi | कालीबंगा सभ्यता हिंदी में

कालीबंगा में उत्खनन पांच स्तरों पर किया गया, जिसमें प्रथम व द्वितीय स्तर सिन्धु सभ्यता से भी प्राचीन एवं तीसरा, चौथा एवं पांचवा स्तर सिंधु सभ्यता के समकालीन माना जाता हैं.
कालीबंगा सुव्यवस्थित नगर योजना के अनुसार बसा हुआ था. पांच से साढ़े पांच मीटर तक चौड़ी एवं समकोण काटती हुई सड़के, सड़कों के किनारे नालियाँ आदि इसके विकास की परिचायक हैं.
मकान बनाने में मिट्टी की इंटों को धूप में पकाकर प्रयुक्त किया जाता था. इंट पकाने के भट्टे के अवशेष नहीं मिले हैं. जिन पर गारे का पलस्तर किया जाता था. लेकिन नालियों एवं कुओं में पक्की इंटों के अवशेष मिले हैं.
कमरों के फर्श को चिकनी मिट्टी से लिपा जाता था. मकानों की छत बनाने के लिए केवलू का प्रयोग नहीं मिलता हैं. बल्कि लकड़ी की बल्लियों पर मिट्टी का लेप करके छत तैयार की जाती थी.
Information About Kalibangan Civilization in Hindi
उत्खनन से प्राप्त मिट्टी के बर्तन एवं उनके अवशेष पतले व हल्के हैं. तथा इनमें सुन्दरता व सुडौलता का अभाव हैं. बर्तनों का रंग लाल हैं.
जिन पर काली एवं सफेद रंग की रेखाएं खीची हुई हैं. बर्तनों पर फूल पत्तियों के अलंकरण के साथ साथ मछली कछुआ, बतख एवं हिरण की आकृतियाँ भी चित्रित की जाती थी.
पशु पक्षियों के स्वरूप वाले खिलौने, मिट्टी की मुहरे, चूड़ियाँ, कांच के मनके, ताम्बे की चूड़ियाँ, औजार व तौल के बाट भी उत्खनन में मिले हैं.
कालीबंगा की लिपि सिंधु लिपि के समान ही थी, जिसे दाएं से बाएँ लिखा जाता था. मिट्टी के भांडों एवं मुहरों पर लिपि के अवशेष मिलते हैं. लेकिन इसे अभी तक पढ़ा नही जा सका हैं.
कालीबंगा में जूते हुए खेत के साक्ष्य मिलते हैं. ऐसा अनुमान किया जाता है कि लोग एक ही खेत में दो फसल उगाते थे. यहाँ से भूकम्प आने के प्राचीनतम साक्ष्य मिलते हैं, जिससे यहाँ की प्राकसिंधु सभ्यता का अंत हुआ.
हड़प्पा एवं मोहनजोदाड़ो की तरह ही कालीबंगा सभ्यता की खुदाई में भी दो दीवार से टीले प्राप्त हुए है. जिसके सम्बन्ध में कहा जाता है कि यह सिंधु सभ्यता का राजधानी केंद्र हुआ करता था.
कालीबंगा नगर के चारो ओर ईंटो से किलेबंदी की गई थी. जिसका एकमात्र मार्ग उत्तर दिशा में था जो सरस्वती नदी के मुहाने तक जाता था.
इस सभ्यता के उत्खनन में मिट्टी के खिलौनों, पहियों तथा मवेशियों की हड्डियाँ तथा एक बैलगाड़ी के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं.
यहाँ मिले अन्य साक्ष्यों में नगर क्र दूसरे टीले के दक्षिणी भाग में पांच चबूतरे मिले हैं. इतिहासकारों का इस सम्बन्ध में मानना है कि संभवतः यहाँ पर हवन आदि धार्मिक कार्य सम्पन्न किये जाते रहे होंगे.
मिले प्रमाणों के आधार पर यह साबित हो चुका है कि दो भागों नगर दुर्ग (या गढ़ी) और नीचे दुर्ग में विभाजित हुआ करता था.
यहाँ की कृषि के बारे में बताया जाता है कि कालीबंगा में संभवतः चने तथा सरसों की खेती की जाती थी. यहाँ की खुदाई में मेसोपोटामियाई’ मुहरों के समान ही एक पत्थर पर देवी की मूर्ति मिली हैं.
उस समय भी लोग अलग अलग सम्प्रदायों से रहे होंगे जिनका प्रमाण कालीबंगा की खुदाई में मिली दाह संस्कार की तीन अलग विधियाँ देती हैं.
कालीबंगा के कब्रिस्तान में 37 कब्रिस्तान मिले है जिनमें उस समय के मृत लोगों का पूर्व समाधीकरण, आंशिक समाधिकरण, दाह संस्कार आदि विधियों से अंतिम संस्कार किया गया था.
यहाँ दो कंकाल भी मिले है जिनमे एक बच्चे की खोपड़ी का है जिसमे सिर में छः छेद है तथा एक युवक का जिसके घुटने पर धारदार कुल्हाड़ी का बड़ा निशान हैं.
कालीबंगा का इतिहास Civilization of Kalibangan In Hindi
उत्तरी राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे सिन्धु सरस्वती सभ्यता के 25 स्थल खोजे गये है. जिनमे से कालीबंगा एक है.
यह हनुमानगढ़ जिले में सरस्वती (घग्गर) नदी के तट पर 4500 वर्ष पहले बसा हुआ था. कालीबंगा में मुख्य रूप से नगर योजना के दो टीले प्राप्त हुए
इस सभ्यता में एक पूर्वी टीला है, जहाँ से साधारण बस्ती के साक्ष्य मिले है. पश्चिमी टीले में दुर्ग है. जिसके चारों ओर सुरक्षा दीवार है.
यहाँ के दोनों टीलो के चारो ओर सुरक्षा दीवार बनी हुई थी. कालीबंगा में जुते हुए खेत (Planted field) के साक्ष्य मिले है. जो संसार में प्राचीनतम है.
दीवारें ईंटो से बनती थी. और इन्हें मिटटी के गारे से जोड़ा जाता था. जिससे दीवारे मजबूत व टिकाऊ बन जाती थी. व्यक्तिगत और सार्वजनिक नालियों तथा कूड़ा डालने के लिए मिट्टी के बर्तन कालीबंगा नगर की सफाई की असाधारण व्यवस्था के अंग थे.
वर्तमान में यहाँ घग्गर नदी बहती है, जो प्राचीनकाल में सरस्वती के नाम से जानी जाती थी. कालीबंगा से धार्मिक प्रमाण के रूप में अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले है. यहाँ संभवत धूप में पकाई गई ईंटो का प्रयोग किया जाता था.
यहाँ से प्राप्त बर्तनों और मुहरों पर जो लिपि अंकित पाई गई है, वह सैन्धव लिपि है, जिसे अभी तक पढ़ा नही जा सका है. काली बंगा से पानी के निकास के लिए लकड़ी व ईंटो की नालियाँ बनी हुई है.
ताम्र से बने कृषि के कई औजार यहाँ की आर्थिक उन्नति के परिचायक है. कालीबंगा की नगर योजना सिन्धु घाटी की नगर योजना के अनुरूप है. यहाँ के निवासियों की मृतक के प्रति श्रद्धा तथा धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने वाली तीन समाधियाँ मिली है.
इस सम्रद्ध सभ्यता के पतन का मुख्य कारण संभवत सूखा, नदी मार्ग में परिवर्तन इत्यादि माने जाते है.