कन्हैयालाल सेठिया का जीवन परिचय | Kanhaiyalal Sethia Biography In Hindi

Kanhaiyalal Sethia Biography In Hindi | कन्हैयालाल सेठिया का जीवन परिचय: सेठिया ( 11 सितंबर 1919 – 11 नवंबर 2008) राजस्थानी भाषा के महान रचनाकार थे, इन्होने अपनी कई रचनाएं हिंदी में भी लिखी.

जन जन की भाषा राजस्थानी को अपना माध्यम बनाकर रचना करने वाले सेठिया जी ने लोगों के दिलों में जगह बना ली थी.

वो एक तंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक, परोपकारी और पर्यावरणविद थे.

कन्हैयालाल सेठिया की जीवनी | Kanhaiyalal Sethia Biography In Hindi

लोकप्रिय गीत धरती धोरा री और अमर लोकगीत पाथल और पीथल के यशस्वी रचयिता साहित्यकार कन्हैयालाल सेठिया का जन्म 11 सितम्बर 1919 को राजस्थान के सुजानगढ़ चुरू में हुआ था. सुजानगढ़ और कलकत्ता से इन्होने शिक्षा प्राप्त की.

1934 ई में गांधीजी के सम्पर्क में आने के बाद इन्होने खादी पहनना और दलितोंद्धार का कार्य शुरू किया. 1941 ई में इनका पहला काव्य संग्रह वनफूल प्रकाशित हुआ. देशप्रेम और राष्ट्रीयता से ओत प्रेत काव्य संग्रह अग्निवीणा के कारण इन पर राजद्रोह का आरोप लगा.

1942 ई के भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होने कराची में जनसभाओं में भाग लिया. 1945 ई में बीकानेर के प्रजा परिषद् के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में सेठिया ने सामन्तवाद का विरोध किया. राजस्थान निर्माण के दौरान इन्होने आबू को राजस्थान में शामिल करने के लिए संघर्ष किया.

हल्दीघाटी चतुःशती समारोह, चित्रकूट मेला, पश्चिमी सांस्कृतिक परिषद्, उदयपुर आदि में सक्रिय भूमिका निभाकर इन्होने राजस्थान की कला और पर्यटन की प्रगति में अपना योगदान दिया. 1976 ई में इनको लीलटांस कृति पर केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत किया गया.

1988 ई में इनकी कृति निर्ग्रन्थ पर मूर्तिदेवी पुरस्कार, 1987 ई में सबद पर सूर्यमल्ल मीसण पुरस्कार तथा सतवादी पर टांटिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सेठिया राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए भी अथक प्रयास किये.

आज के भौतिक युग में भी कविता को जीवित रखने का श्रेय इन्हें प्राप्त हैं. 31 मार्च 2012 को राजस्थान सरकार ने प्रथम राजस्थान रत्न सम्मान देने की घोषणा की.

कन्हैया लाल सेठिया का व्यक्तिगत परिचय

पूरा नामकन्हैयालाल सेठिया 
प्रोफेशनलेखक, कवि
जन्मदिन11 सितंबर 1919 
जन्म स्थानसुजानगढ़, चूरु, राजस्थान, भारत
मृत्यु11 नवंबर 2008 
पिताछगन लाल सेठिया 
मातामनोहरी देवी 
कॉलेजकोलकाता यूनिवर्सिटी, स्कॉटिश चर्च कॉलेज
शैक्षिक योग्यताबैचलर ऑफ आर्ट 
लोकप्रिय रचनाधरती धोरा री और पाथल और पीथल 
पत्नीमिस धापू देवी 
बच्चेजयप्रकाश, विनय प्रकाश,संपत देवी 
धर्महिंदू 
नागरिकताभारतीय

शिक्षा

जिस दौर में कन्हैयालाल सेठिया जी पैदा हुए थे उस दौर में लोगों की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती थी। इसलिए वह अधिक पढ़ाई नहीं कर पाते थे

परंतु सेठिया जी ने पढ़ाई के महत्व को काफी अच्छे से समझा और इसीलिए उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री हासिल करने के लिए कोलकाता यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और इस यूनिवर्सिटी से इन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री को पूरा किया।‌

सेठिया जी के लोकप्रिय सब्जेक्ट के बारे में बात की जाए तो इन्हें साहित्य और दर्शन राजनीति का सब्जेक्ट बहुत ज्यादा पसंद था।

कन्हैया लाल सेठिया का जेल में जाना

सामंतवादी लोगों के द्वारा निर्दोष लोगों पर किए जा रहे अत्याचार को देखकर के कन्हैया लाल सेठिया का मन विचलित हुए और उन्होंने यह निर्णय लिया.

वह सामंतवाद का विरोध करेंगे और इसीलिए उन्होंने सामंतवाद का विरोध करने के लिए कई लोगों को अपने साथ इकट्ठा किया और सामंतवाद का विरोध करने लगे और यही वजह थी कि कन्हैयालाल पिछड़े वर्ग के लोगों में अच्छे खासे लोकप्रिय हो गए।

महात्मा गांधी से जिस प्रकार अन्य कई लोग प्रभावित थे, उसी प्रकार सेठिया भी महात्मा गांधी से प्रभावित थे और महात्मा गांधी के द्वारा करो या मरो नारे का आवाहन दे करके जब साल 1942 में आंदोलन किया गया तो सेठिया भी उस आंदोलन में कूद पड़े.

जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा कन्हैयालाल सेठिया को गिरफ्तार करके इनके ऊपर राजद्रोह का केस चलाया गया और इसी के कारण इन्हें कई दिनों तक जेल में रहना पड़ा।

पहली साहित्यिक रचना

कन्हैया लाल का जन्म राजस्थान में हुआ था।‌इसलिए राजस्थानी इनकी मातृभाषा थी। इन्होंने अपनी मातृभाषा के अलावा उर्दू और हिंदी जैसी भाषा में अनेक प्रकार की रचनाओं को लिखकर के तैयार किया था, साथ ही उन्होंने कई किताबें भी लिखी थी।‌

अगर इनकी पहली साहित्यिक रचना के बारे में बात की जाए तो “रमणिया रा सोरठा” वह रचना है जो इनकी पहली साहित्यिक रचना मानी जाती है। इसे इन्होने राजस्थानी भाषा में लिख करके तैयार किया था।

इसके अलावा इन्होंने “नींबूडा राजस्थानी” नाम की एक छोटी सी किताब भी लिखी थी। इनकी सबसे पॉपुलर कविता के बारे में बात करें तो “धरती धोरा री’ इनकी सबसे लोकप्रिय कविता है, जो राजस्थान के स्कूलों की किताबों में भी पढ़ाई जाती है।

कन्हैयालाल सेठिया की हिंदी रचनाएं

  • वन फूल 
  • अग्नीबीना 
  • मेरा युग 
  • दिपकिरण 
  • प्रतिबिंब 
  • आज हिमालय बोला 
  • खुली खिड़कियां 
  • चौरे रास्ते 
  • प्रणाम 
  • मर्म 
  • अनम 
  • नीरग्रंथ 
  • स्वागत 
  • देह-विदेह 
  • आकाशगंगा 
  • वामन विराट 
  • निशा पट्टी 
  • श्रेयास 
  • ताजमहल 
  • गुरुजी

कन्हैया लाल सेठिया की शारीरिक संरचना

  • लंबाई: 5 फुट 3 इंच 
  • वजन: 61 किलो 
  • आंखों का रंग: काला 
  • बालों का रंग: हल्का सफेद 
  • चेहरे का रंग: सावला 

कन्हैया लाल सेठिया की पसंद

  • पसंदीदा अभिनेता: ज्ञात नहीं 
  • पसंदीदा अभिनेत्री: ज्ञात नहीं 
  • पसंदीदा कलर: ज्ञात नहीं 
  • पसंदीदा खाना: बाजरे की रोटी और सरसों का साग
  • पसंदीदा गायक: ज्ञात नहीं 
  • पसंदीदा घूमने की जगह: ज्ञात नहीं
  • पसंदीदा काम: किताबें लिखना, कविता की रचना करना

कन्हैयालाल सेठिया की उपलब्धियां और प्राप्त अवार्ड

जीवित रहते हुए कन्हैया लाल ने कई ऐसी कविताओं और कहानियों की रचना की थी जिसे लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया था.

इन्हें अपनी कई कहानियों और रचनाओं के लिए अलग-अलग प्रकार के अवार्ड मिले थे, साथ ही कई पुरस्कार से भी इन्हें नवाजा गया था।

साल 1988 में कन्हैया लाल सेठिया को मूर्ति देवी साहित्य अवार्ड दिया गया था। यह अवार्ड इन्हें ज्ञानपीठ की तरफ से प्राप्त हुआ था। साल 2004 का वह समय था जब इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा इन्हें पद्मश्री अवार्ड दिया गया था।

कन्हैया लाल सेठिया ने मारवाड़ी लैंग्वेज में कई वस्तुओं को तैयार किया था। इसलिए हैदराबाद में इन्हें बुलाकर के साल 1969 में राजस्थानी लोगो के द्वारा सम्मानित किया गया था।

साल 1992 में इनहे ताम्रपत्र दिया गया था, जो कि स्वतंत्रता सेनानी के लिए था। यह ताम्रपत्र इन्हें राजस्थान गवर्नमेंट की तरफ से प्रदान किया गया था।

सेठिया की मौत के बाद राजस्थान गवर्नमेंट के द्वारा सेठिया को राजस्थान रत्न अवार्ड देने की घोषणा साल 2012 में 31 मार्च के दिन की गई थी।

साल 1987 में इन्हें सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार दिया गया था। पूनम चंद भूतोड़िया पुरस्कार इन्हें साल 1982 में मिला था।

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