महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी | Mahadev Govind Ranade Biography in Hindi

महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी Mahadev Govind Ranade Biography in Hindi एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ समाज सुधारक रानाडे का जन्म 1842 में महाराष्ट्र में हुआ था.

बम्बई विश्वविद्यालय में उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की. 1893 में उन्हें बम्बई उच्च न्यायालय में जज नियुक्त किया गया.

वह सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक उत्थान उद्देश्य को सार्थक करते हुए बहुत से भारतीयों संस्थाओं में अपने सक्रिय योगदान के साथ सेवारत थे पूना सार्वजनिक सभा, सामजिक सभा औद्योगिक सभा, प्रार्थना सभा तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आदि.

महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी Govind Ranade Biography in Hindi

नाममहादेव गोविन्द रानाडे
पिता का नामगोविंद अमृत रानाडे
जन्म दिनांक18 जनवरी, 1842 ई.
शिक्षाएल.एल.बी.
कार्य क्षेत्रराष्ट्रवादी, समाज सुधारक, विद्वान् और न्यायविद
राष्ट्रीयताभारतीय

महादेव गोविन्द रानाडे की जीवनी

सामाजिक सुधारों के संदर्भ में रानाडे विश्वास करते थे कि जातिगत मूल्यों के अंतर व भेदभाव को समाप्त कर देना चाहिए. इस प्रकार उन्होंने भक्ति आंदोलन का समर्थन किया जिसके अंतर्गत समाज में सभी जातियों के लिए समान नियम व कानून थे.

रानाडे नर व नारी दोनों के लिए समान अधिकार शिक्षा के प्रसार बच्चों व विधवाओं के प्रति सामाजिक अन्याय से सुरक्षादिलाना कृषि मजदूरों की सुरक्षा तथा शोषण आदि के खिलाफ राहत आदि कार्यों के प्रति तीव्र उत्कंठा के साथ सेवा स्वीकार करते थे.

रानाडे विश्वास करते थे कि भारतीय समाज का पुनरुत्थान क्रमिक पद्धति के द्वारा धीरे धीरे आवश्यक रूप से लाया जा सकता हैं. रानाडे ने आधुनिक पद्धतियों की वकालत की तथा पुनरुत्थान को प्रभावित करने के लिए तुरंत राजद्रोह को स्वीकार नहीं किया.

इस तरह के आधुनिक कार्यकलापों के अंतर्गत व्यवस्थित व नियमानुकूल शासन पद्धति शिक्षा व सामूहिक चेतना को जागृत करना और अंत के सुधार के हेतु शासन के दंड विधान को भी महत्व दिया. रानाडे का देहांत 1901 में हुआ.

महादेव गोविंद रानाडे की व्यक्तिगत जानकारी

पूरा नाममहादेव गोविंद रानाडे 
जन्म18 जनवरी 1842 
जन्म स्थाननिपाड, मुंबई (वर्तमान में नाशिक जिला) 
मृत्यु16 जनवरी, 1901 
मृत्यु स्थानपुणे, मुंबई, महाराष्ट्र 
नागरिकताभारतीय 
प्रोफेशनस्कॉलर, सामाजिक व्यक्ति, लेखक 
धर्महिंदू
जातिचितपावन ब्राह्मण
पुरस्कारकम्पैनियन ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ द इंडियन एम्पायर
राजनीतिक पार्टीभारतीय कांग्रेस पार्टी 

प्रारंभिक जीवन

ब्राह्मण खानदान में पैदा होने के बावजूद जाति व्यवस्था का पुरजोर विरोध करने वाले भारत के प्रख्यात समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे साल 1842 में 18 जनवरी के दिन पैदा हुए थे।

इनका जन्म स्थान निफाड नाम का एक इलाका था, जो कि वर्तमान के टाइम में महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में पड़ता है। 

इनके बारे में एक बात यह है कि भले ही यह निफाड़ नाम के इलाके में पैदा हुए थे जो कि आज नासिक जिले में है परंतु इनका बचपन महाराष्ट्र के ही कोल्हापुर राज्य में ज्यादा बीता.

क्योंकि निफाड़ में यह अपनी माता जी के घर पैदा हुए थे और इनके पिताजी कोल्हापुर में काम करते थे। इसलिए इनके पैदा होने के बाद इनकी माता जी इन्हें लेकर के कोल्हापुर चली गई।

शिक्षा

महादेव को शिक्षा दिलवाने के लिए इनके माता-पिता के द्वारा कोल्हापुर के ही किसी विद्यालय में इनका एडमिशन करवाया गया, जहां से इन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई की.

फिर 14 साल की उम्र में इन्होंने ग्रेजुएशन करने के लिए मुंबई का रुख किया और मुंबई में स्थित एलफिंस्टन कॉलेज में इन्होंने एडमिशन लिया।

आगे चलकर के इन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री हासिल की। इसके अलावा इन्होंने कानून की पढ़ाई करने के लिए एलएलबी में भी एडमिशन लिया और सफलतापूर्वक फर्स्ट ग्रेड से एलएलबी की डिग्री को हासिल की। 

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गोविंद रानाडे मुंबई में ही प्रथम कैटेगरी के उच्च न्यायाधीश मुंबई स्मॉल कोर्ट में बने। इसके अलावा 1885 के आसपास में यह हाईकोर्ट से जुड़ गए और इनकी अद्भुत कार्यशैली की बदौलत इनका प्रमोशन साल 1893 में हुआ और प्रमोशन पाने के बाद यह मुंबई हाई कोर्ट के जज बने।

महादेव गोविंद रानाडे का धार्मिक और सामाजिक सुधार

इंडिया में आज भी कई इलाकों में काम करने वाले प्रार्थना समाज की शुरुआत गोविंद रानाडे के जीवन के दरमियान ही हुई थी।

साल 1867 के आसपास में धार्मिक सुधार और सामाजिक सुधार करने के लिए तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए महादेव ने महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में प्रार्थना समाज को स्थापित किया, जिसमें उनका साथ अबाजी मोदक, बाल मंगेश वागले, आत्माराम पांडुरंग ने दिया था।

जिस समय में गोविंद रानाडे ने मुंबई में प्रार्थना समाज की स्थापना की थी, उस समय इंडिया के कई इलाकों में विधवा विवाह मनाही, दहेज, सागर पार यात्रा, विवाह मुंडन, नाबालिग विवाह, सती प्रथा जैसी कई खराब प्रथाएं चल रही थी। 

इन्हीं सब कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए और इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए ही प्रार्थना समाज को बनाया गया था।

समाज में फैली हुई अवस्थाओं का खात्मा करने के लिए रानाडे के द्वारा सोशल कॉन्फ्रेंस मूवमेंट को भी बनाया गया था।

महादेव गोविंद रानाडे का राजनीतिक जीवन

सामाजिक सुधारों में इंटरेस्ट लेने वाले महादेव पॉलिटिक्स में भी काफी हस्तक्षेप रखते थे। इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के दरमियान महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में पब्लिक कमेटी को स्थापित किया था।

आगे चलकर के यह कांग्रेस के कई नेताओं की नजर में आए और इस प्रकार इनकी पैठ कांग्रेस पार्टी में बनती गई और कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद इन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस का मेंबर बनाया गया।

जब कभी भी इंडियन नेशनल कांग्रेस के फाउंडर की बात होती है, तो उसमें रानाडे का नाम भी लिया जाता है। गोपाल कृष्ण गोखले रानाडे को अपना सबसे भरोसेमंद एडवाइजर मानते थे और वह इनसे कई मुद्दों पर चर्चा करते थे।

रानाडे और बाल गंगाधर तिलक के विचारों में जमीन आसमान का अंतर था। रानाडे के अनुसार वह तिलक जी के विचारों का समर्थन नहीं करते थे।

कैरियर

  • साल 1871: मुंबई स्मॉल केस कोर्ट के चौथे जज बने।
  • साल 1873: पुणे शहर के पहली कैटेगरी के न्यायाधीश बने।
  • साल 1884: पुणे शहर के स्मॉल केस कोर्ट के न्यायाधीश बने।
  • साल 1893: मुंबई हाई कोर्ट के जज बने।
  • साल 1885: मुंबई विधान परिषद में रहे।

महादेव गोविंद रानाडे का परिवार 

माताअज्ञात
पितागोविंद अमृत रानाडे
भाईअज्ञात
बहनअज्ञात
पत्नीरमाबाई रानाडे
बच्चेअज्ञात

महादेव गोविंद रानाडे का विवाह

जैसा कि आप जानते हैं कि गोविंद बहुत बड़े समाज सुधारक थे और वह हमेशा से ही लोगों के दर्द को कम करने का काम करते थे।

शादी होने के कुछ ही साल के बाद इनकी पहली पत्नी की मौत होने के बाद इनके मित्र सुधाकर ने इन्हें एक विधवा से शादी करने के लिए कहा ताकि इनका जीवन भी संवर जाए और उस विधवा को भी सहारा मिल जाए।

हालांकि रानाडे ने बाद में रमाबाई रानाडे नाम की एक लड़की से शादी की और आगे चलकर के इन्होंने इसे पढ़ाया भी क्योंकि उनकी पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी। जब गोविंद जी की मृत्यु हो गई तब इनकी पत्नी ने ही इनके काम को आगे बढ़ाया।

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