Mera Bharat Mahan Essay In Hindi : प्यारे साथियों आज हम मेरा भारत महान पर निबंध इन हिंदी आपके साथ साझा कर रहे हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4. 5, 6, 7, 8. 9, 10, 11 और 12 के बच्चों को ध्यान में रखकर मेरे देश पर निबंध को तैयार किया गया हैं.
भारत देश महान इस निबंध को आप परीक्षा के लिहाज से याद करके छोटे बड़े निबंध अनुच्छेद अथवा भाषण के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं.
मेरा भारत महान पर निबंध Mera Bharat Mahan Essay In Hindi

मैं किस देश का वासी हूँ इसको मेरे पसंदीदा गीत जहाँ डाल डाल पर, सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा ने अच्छी तरह से प्रत्युतर किया हैं. कृषि प्रधान मेरा भारत समस्त दृष्टि से महान हैं.
मैं स्वयं को धन्य मानता है जो भारत की भूमि पर जन्म मिला. ये वीरों, महापुरुषों एवं धर्मात्माओं की पावन धरा हैं जहाँ सदियों से ऋषि परम्परा ने विश्व को राह दिखाई हैं.
मेरा भारत भिन्न भिन्न फूलों का चमन हैं जिसमें सभी धर्मो के लोग मिलकर शांति से बसते हैं. भारत दुनियां के सभी धर्मों मतो विचारधाराओं, भाषाओं एवं परम्पराओं का आश्रय स्थल रहा हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी, असम से गुजरात तक हर भारतीय को अपने देश पर गर्व हैं.
उत्तर में हिमालय मेरे भारत की शान की बढ़ाता है वही गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा आदि यहाँ की धरती को हरी भरी बनाती हैं. सभी मायनों में मेरा भारत देश महान हैं दुनियां में बेजोड़ एवं अद्वित्य हैं.
भारत दुनिया की सबसे बड़े देशों में से एक है, हमारे देश में मिट्टी को माता के समान पूजा जाता है. भारत में ही सबसे पहली भाषा संस्कृत का उद्गम हुआ था इसी भाषा से मिलकर अन्य सभी भाषाएं बनी है.
यहां पर अनेक प्रकार की विविधता पाई जाती है जैसे प्रत्येक राज्य में अलग भाषा का और संस्कृति का रंग देखने को मिलता है यहां पर हिंदू, सिख, इसाई, मुस्लिम, जैन और बौद्ध धर्मो के लोग रहते है.
दुनियां में तकरीबन तीस सौ देश हैं आकार की दृष्टि से भारत सातवाँ सबसे बड़ा देश हैं जिसकी संस्कृति, विरासत एवं आध्यात्मिक स्वरूप का हर कोई कायल रहा हैं. विदेशी यात्रियों से लेकर लेखकों, कवियों ने इस धरा को निराश्रितों को सहारा देने वाला महान भारतवर्ष कहा.
यहाँ कि मिट्टी कुछ बेहद ख़ास है जो अन्यत्र देखा जाना दुर्लभ ही हैं. भारत भूमि पर जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे व किसी मत मजहब का अनुयायी हो वह इस धरती को मिट्टी न मानकर माँ तुल्य मानकर उसका वन्दन करता हैं.
भारत, हिंदुस्तान, इण्डिया, आर्यावर्त जैसे नामों से मेरे देश को जाना जाता हैं. जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत हैं जहाँ अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राण त्यागने वाले वीर हर घर निकलते हैं.
मैं जहाँ भी जाता हूँ मेरे सम्मान इसलिए किया जाता हैं क्योंकि मैं एक ऐसे देश का बेटा हूँ जिसने मानवता के लिए हजारों उपकार किये. इस देश के लाखों सपूतों ने अपना सर्वस्व जीवन लगाकर भारत को बनाया. 5000 हजार साल पुरानी हमारी ऋषि परम्परा और संस्कृति ही हमें विश्व में अलग पहचान दिलाती हैं.
अपने शत्रु को 17-17 बार पराजित कर जीवन दान देने वाले वीर यौद्धा पृथ्वीराज चौहान, आजादी के रखवाले प्रताप, सत्य अहिंसा के परम पुजारी महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, भगवान राम और कृष्ण की जन्मस्थली मेरी भारत भूमि से मैं बेहद प्रेम करता हूँ.
आचार्य चरक, सुश्रुत, पतंजली, आर्यभट्ट, डॉ जगदीश चन्द्र बोस, डॉ सी. व्ही. रमण, डॉ होमी भाभा, डॉ नारलीकर जैसे लोगों ने मानवता के उद्धार के लिए अहम योगदान दिया. भारत के सभी लोगों का सनातन धर्म की आस्था, विश्वास और जीवन पद्धति में उसके उपयोग को ही सर्वे सुखिन सर्वे सन्तु निरामया जैसे भावों को जन्म देता हैं.
प्राकृतिक सौन्दर्य एवं ऐतिहासिक स्थलों की भारत में एक लम्बी सूची हैं. लाल किला फतेहपुर सिकरी, सुवर्ण मंदिर, ताज महल, ऊटी, खजुराहो, निलगिरी, कश्मीर, अजंता और एल्लोरा की गुफा दुनियां को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. कृषिप्रधान भारत देश के किसान कपास, गन्ना, जुट, चावल, गेहू, अनाज पैदाकर इसे खाद्य सम्पन्न बनाते हैं.
जयशंकर प्रसाद लिखते हैं- अरुण मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा, मोहम्मद इकबाल ने लिखा हैं सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा, फिल्मी गाना हैं ये धरती एक दुल्हन के माथे की बिंदिया, ये मेरा इण्डिया. वाकई ये बेहद ख़ास है
क्योकि यह अपना महान भारत देश हैं, यहाँ न केवल प्राकृतिक विविधता देखने को मिलती हैं बल्कि यहाँ के जन जीवन के रहन, सहन, भाषा, विशवास, परम्परा, संस्कृति में यह इतनी विविधताओं से भरा हैं कि यदि इन्हें मिनी विश्व कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
इसकी मिट्टी की खुशबू ऐसी है जो सभी को अपनी ओर खीच ही लाती हैं जो एक बार यहाँ आया यही का हो गया. यदि कोई फनकार या काव्यकार रहा तो जीवन भर इस भूमि की प्रशंसा में लिखते न थका.
एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग में तथा दुनियां के उत्तरी गोलार्द्ध में 8’4 से 37’6 उत्तरी अक्षांश और 68’7 से 97’25 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित हैं. भारत उत्तर से दक्षिण में 3214 किमी तथा पूर्वी से पश्चिम में 2933 किमी भूभाग में फैले भारत का कुल क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार 263 वर्ग किमी हैं.
क्षेत्रफल के लिहाज से भारत दुनियां का सातवाँ सबसे बड़ा देश हैं. हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड़ को पार कर चुकी हैं. दुनियां में आबादी के दृष्टिकोण से केवल चीन ही हमसे आगे हैं. उत्तरी सीमा पर हिमालय भारत का प्रहरी बना हैं साथ ही नेपाल, भूटान व चीन उत्तरी सीमा से सटे पड़ोसी देश हैं.
भारत की पूर्वी सीमा पर म्यांमार व बांग्लादेश तथा पश्चिम में पाकिस्तान व अफगानिस्तान हैं. भारत की दक्षिणी सीमा पर हिन्द महासागर व अरब सागर हैं.
भारत का इतिहास कई सदियों पुराना हैं जिसके सम्बन्ध में कोई ज्ञात इतिहास नहीं हैं इस कारण माना जाता हैं जब दुनियां में कोई संस्क्रति नहीं थी जब भारत था, अतः इसे सनातन काल से चला आ रहा भारतवर्ष भी कहते हैं.
भारत का नामकरण महान राजा दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा. लगभग तीसरी सदी में जब यूनानी भारत आए तो इन्होने इण्डिया कहा, मध्यकाल में अरब देशों से आए मुस्लिम आक्रान्ताओं एवं इतिहासकारों ने इसे हिन्द अथवा हिंदुस्तान के नयें नाम से संबोधित किया. भारत के अन्य नाम जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारतखंड आदि भी हैं.
अपने हजारों साल के अतीत में भारत ने अनगिनत आक्रान्ताओं के आक्रमणों को सहा, असर यह हुआ कि यहाँ की उदारता और संस्कृति में वे भी इतने घुल मिल गये कि यही के निवासी बनकर रहने लगे.
भारत पर विदेशी आक्रमणों का क्रम तीसरी सदी में यूनानियों के साथ आरम्भ हुआ जो शको, हूणों, फिर मुगलों, पुर्तगालियों तक चलता रहा. मगर इन आक्रान्ताओं ने भारत को कभी पराया नहीं समझा वे अपनी प्रजा के शासक के रूप में शासन करते रहे जिसके चलते प्रजा को भी कभी गुलामी का एहसास नहीं हुआ.
सत्रहवीं सदी में जब अंग्रेजों ने मुगलों को सत्ता से हटाकर स्वयं आसीन हुए तो पहली बार भारत के लोगों को गुलामी का दौर झेलना पड़ा. अंग्रेज यहाँ की प्रजा की भलाई की बजाय उनका शोषण कर सारा माल अपने देश भेजने लगे. दिनोंदिन भारतीयों पर अत्याचार की पराकाष्ठा होने लगी.
भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने का बीड़ा देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने हाथ में लिया और 100 सालों की जंग के बाद आखिर 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाने के लिए विवश होना पड़ा. आजादी के इस हवन में लाखों देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति देकर एक बार फिर से भारत के गौरव को पुनर्स्थापित किया.
आजाद भारत के इतिहास में २६ जनवरी १९५० का दिन बेहद अहम था. सदियों पुराने इतिहास में यह पहला औपचारिक अवसर था जब शासक वर्ग को चुनने की क्षमता जनता के हाथ में दी गई. बिना किसी तरह के जाति, धर्म,लिंग भाषा के भेद को स्वीकारे सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किये गये.
किसी एक देश के एक बने रहने के लिए उसकी भौगोलिक सीमाएं, राजनैतिक चेतना और सांस्क्रतिक एकरूपता अनिवार्य मानी जाती हैं. भारत में अलग अलग जाति एवं धर्मों के लोग निवास करते हैं.
सभी की भाषाएँ, आस्था, विश्वास एवं मान्यताएं अलग हैं फिर भी सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीयता का भाव उन्हें एकता के सूत्र में पिरोकर भारतीय बनाता हैं.
सिंध से असम हिमालय से कन्याकुमारी तक भले ही हमारी भाषाएँ मान्यताएं अलग हो मगर सभी का धर्म एवं संस्कृति एक ही हैं. विदेशी आक्रमणों एवं अत्याचारों के चलते लोगों के जबरन मत मजहब बदलने के उपरान्त भी इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि हमारे पूर्वज एक ही थे,
वक्त हैं एक दौर में आक्रमणकारियों द्वारा अत्याचार के साथ हमारी संस्कृति के बदलाव के प्रयास को हम आज खत्म कर उसी रंग में रग जाए जो हमारा हैं जिसमें अपनेपन की सुगंध हैं.
thank you so much