शिक्षक दिवस पर भाषण 2024 Teachers Day Speech In Hindi: स्कूल स्टूडेंट्स के लिए 5 सितम्बर 2024 शिक्षक दिवस पर सरल भाषा में भाषण स्पीच यहाँ दिए गये हैं.
अपने अध्यापकों के सम्मान में टीचर्स डे पर इन शोर्ट और रोचक भाषण को आसानी से याद करके प्रस्तुत किया जा सकता हैं. चलिए छोटी छोटी कविताओं और शिक्षक दिवस की शायरी के साथ दिए इस निबंध भाषण के लेख को आरम्भ करते हैं.
शिक्षक दिवस पर भाषण 2024 Teachers Day Speech In Hindi

Speech On Teachers Day 2024 In Hindi आदरणीय प्रधानाचार्य, मुख्य अतिथि महोदय, समस्त विद्वान गुरुजनों और मेरे साथ पढ़ने वाले समस्त दोस्तों. आप सभी कों यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही हैं.
कि हर वर्ष की तरह हमारे विद्यालय प्रांगण में आज 5 सितम्बर को देशभर में शिक्षक दिवस Shikshak Divas मनाया जा रहा हैं. हमारे सम्मानीय शिक्षकों कों समर्पित यह दिन पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस (5 सितम्बर) को ही मनाया जाता हैं.
शिक्षक दिवस 2024 पर भाषण 1
शिक्षक किसी भी राष्ट्र अथवा समाज की रीढ़ की हड्डी और भविष्य का कर्णधार कहा हैं. क्युकि यही हमारे भविष्य और चरित्र निर्माण में महती भूमिका निभाते हैं. पेश हैं. मेरे सभी शिक्षकों के लिए दो लाइन की यह शायरी.
नही हैं शब्द कैसे करू धन्यवाद
बस चाहिए हर पल आप सभी का आशीर्वाद
हूँ जहाँ आज मै उसमे हैं बड़ा योगदान
आप सबका जिन्होंने दिया मुझे इतना ज्ञान.
एक नन्हा बालक जो इस दुनिया के रंग ढंग और बाहरी वातावरण से पूर्ण अपरिचित होता हैं. अज्ञान रूपी अँधेरे से चारो और घिरे बालक को गुरु( शिक्षक) रूपी भगवान का सहारा मिलने के बाद धीरे धीरे दुनिया का ज्ञान मिलता हैं.
सच्ची लग्न और गुरुजनों के प्रति निष्ठां से प्राप्त इस ज्ञान से वह बालक एक अच्छा इसान बन जाता हैं. शिक्षक बिना किसी तरह के भेदभाव अपनी शरण में आए सभी बालकों को ज्ञान प्रदान करते हैं.
बस फर्क इतना रहता हैं कि हम इसे कितना ग्रहण करते हैं. जो शिक्षक द्वारा बताई गई राह पर आगे बढ़ता जीवन में अवश्य मंजिल प्राप्त करता हैं.
गुमनामी के अँधेरे में था.
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से
मुझे अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरु ने मुझे एक
अच्छा इंसान बना दिया.
वैसे हम बात करे वर्ल्ड टीचर्स डे मनाने की तो विश्व के 21 देश इसे 5 अक्टूबर को और 11 देश 28 फरवरी के दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.
इसके अतिरिक्त जहाँ भारत में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाते हैं, कुछ अन्य देशों में इसकी तिथियाँ इस प्रकार हैं. बांग्लादेश, इंग्लैंड, जर्मनी, पाकिस्तान में 5 अक्टूबर श्रीलंका में 6 अक्टूबर और ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा हैं.
गुरुदेव के चरणों में
श्रद्धा सुमन संग वन्दन
जिनके कृपा नीर से
जीवन हुआ चन्दन
धरती कहती अम्बर कहते
कहता यह जमाना
गुरूजी आप ही पावन नूर हैं
जिनसे रोशन हुआ जमाना
शिक्षक के महत्व को समझने में ये पक्तियाँ कारगर हैं, अनमोल वचन की इन पक्तियों का भावार्थ एक लाइन में कहा जाए तो शिक्षक अपने शिष्य को सच्चा देशप्रेमी या आतंकवादी भी बना सकते हैं. इनके पास वे सभी कलाए होती हैं.
जिस तरह कुम्हार कच्ची मिटटी के घड़े को अपने हुनर के दम पर सुंदर आकार देता हैं. ठीक उसी प्रकार दुनिया से नासमझ बालक को जिस प्रकार और जैसा बनाना चाहे, शिक्षक बना सकता हैं.
हमारे भावी समाज के निर्माण में शिक्षक की सबसे अहम भूमिका होती हैं. क्युकि प्रत्येक बालक-बालिका के जीवन में उनके माता-पिता के बाद गुरु का स्थान होता हैं.
शिक्षक वह दीपक हैं जो स्वय जलकर दूसरों को उजाला देता हैं. यह उक्ति आपने कई बार सुनी होगी. उदाहरण के लिए इसे समझना चाहे तो बहुत ही कम लोग होंगे जो राजकुमार शर्मा और रमाकांत आचरेकर को जानते हैं.
मगर विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर को हर कोई जानता हैं. आपकों बता दे ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने अनुभव और परिश्रम के दम पर सचिन और विराट जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को तैयार किया.
मगर हम उन शिक्षकों को याद नही रख पाते जो जो किसी व्यक्ति को सफलता के शिखर तक पहुचाने में पीठ के पीछे उनकी मदद करते हैं. एक बार पराजित होने पर फिर से उठ खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं.
हमारे वेदों में गुरु को ब्रह्मा,विष्णु और महेश के समान दर्जा देकर सर्वोच्च पद प्रदान किया हैं.
गुरु: ब्रह्मा गुरु विष्णुः
गुरुदेवों महेश्वाराय
गुरु साक्षात परब्रह्मा
तस्मे श्री गुरवे: नमः
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता हैं-भारत में टीचर्स डे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं. 5 सितंबर सन् 1888 को जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गाँव में जन्म राधाकृष्णन बचपन से पढने लिखने में बेहद रूचि लेते थे.
मद्रास से एम ए करने के बाद वे दर्शनशास्त्र विषय के अध्यापक बने. इन्होने 40 वर्षो तक अध्यापन कार्य करवाया. इस दौरान वे देश विदेश के कई शिक्षण संस्थानों से जुड़े. भाषण देने में निपुण एस राधाकृष्णन को लोग सुनने के लिए दूर दूर से आया करते थे.
इसके बाद वे राजनीती में आए 1952 में स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रप्ति और 1962 में दूसरें राष्ट्रपति बने. कई वर्षो तक राजनीती के शिखर पर रहते हुए भी इन्होने स्वय को एक शिक्षक माना और हमेशा सिखने सिखाने का कार्य जारी रखा.
शिक्षा के क्षेत्र में श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान के लिए 1954 में इन्हे भारतरत्न और 1962 में इनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परम्परा शुरू हुई.
गुरु का महत्व् होगा कभी न कम
भले कितनी ही उन्नति कर ले हम
वैसे net पर हैं सारा ज्ञान
पर नही हैं अच्छे बुरे का ज्ञान
शिक्षक दिवस 2024 पर भाषण स्पीच 2
Speech on Teacher’s Day भारत एक प्राचीन संस्कृति का देश हैं जिसका आधार हैं हमारी सभ्यता और संस्कृति हैं. किसी भी देश के भविष्य का आधार उसका अतीत हैं.
हमारी सभ्यता का अतीत हमारे प्राचीन वेदों और ग्रंथो में समाहित हैं. और उन पर एक सरसरी द्रष्टि डालने पर हम पाते हैं. कि हम और हमारा अतीत शैक्षिक रूप से अत्यंत समर्द्ध था.
जिसकी आधार थी हमारी गुरु परम्परा जब कार्बन पद्दति के तथ्यों पर विचार करे तो हम पाते हैं कि हमारे देश के बालक संस्कृत भाषा जो दुनिया की सबसे समर्द्ध भाषा हैं.
भाषा के ग्रन्थ मौखिक याद कर लिया करते थे. जब दुनिया की भव्य सभ्यताएं अपने आदिम स्वरूप में थी. इन स्वर्णिम तथ्यों का आधार थी हमारी गुरुकुल व गुरु शिष्य संस्कृति.
वेदों में वर्णित गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वराय हमे इस बात का अहसास दिलाता हैं. कि हमारे गुरुओ का कितना महत्वपूर्ण स्थान था. सम्मान और गुरु पूजा की हमारी यह संस्कृति विश्व के किसी अन्य देश में देखने को नही मिलती हैं.
एक बल्ब में बहुत सा प्रकाश होता हैं. परन्तु वह स्वय: प्रज्वलित नही हो सकता हैं. इस प्रकार दुनिया का सारा बालक के चारो और होता हैं.
उस ज्ञान को समझने के लिए बालक की ज्ञानेन्द्रियो का विकास शिक्षक ही करता हैं. हमारी मातृभाषा की कुछ कहावते इस बात की पुष्टि करती हैं. गुरु बिन घोर अँधेरा
आधुनिक युग के महान मनोवैज्ञानिक वाटसन का कथन सारगर्भित हैं. – आप मुझे बालक दो मै उसे वो बना दुगा जो आप चाहते हैं. गुरु शब्द की प्रतिष्टा में चार चाँद लगाने के साथ ही गुरु शब्द अपने आप में एक अतुलनीय व्याख्या हैं.
आज के सन्दर्भ में प्राचीन भारतीय दार्शनिक चाणक्य का कथन याद आता हैं. कुछ ज्यादा अर्जित करने के लालच में सब कुछ खो देने से अच्छा हैं अपने अतीत को सहेज कर रखना.
शिक्षक दिवस भाषण – 3
आदरणीय हमारे आदर्श शिक्षक गण महोदय और प्यारे सहपाठी गण जैसा कि आप सभी को विदित हैं कि आज 5 सितम्बर हैं जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.
प्रिय साथियो आज इस संसार में कोई भी व्यक्ति उंचाइयो पर पंहुचा हैं. तो उनमे माता-पिता के अलावा गुरुजनों का योगदान सर्वाधिक हैं.
हम शिक्षक दिवस हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाते हैं. गुरु का हर किसी के जीवन में महत्व रखता हैं. हमारे समाज में भी गुरुजनों का विशिष्ट महत्व हैं. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान दार्शनिक और शिक्षक थे.
इनका शिक्षा के प्रति गहरा जुड़ाव था. हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन को सवारने तथा ज्ञान, कौशल, विशवास, सामर्थ्य आदि बिन्दुओ पर गहनता से अध्ययन करके जीवन में क्या उपयोगी हैं और क्या अनुपयोगी उन सारी बातो से हमे अवगत करवाते हैं.
शिक्षक बालको को भय दिखाकर अनुशासन तथा नियमों में बंधे रहने के गुणों का विकास शुरूआती जीवन में ही कर देते हैं. जो व्यक्ति के व्यक्तिव निर्माण में बहुत काम आता हैं. दुनिया से अनभिज्ञ बालक को एक अच्छा इंसान बनाने का कार्य एक शिक्षक ही कर सकता हैं.
आज के शिक्षक दिवस अवसर पर मेरे गुरुजनों के सम्मान में एक कविता की दो लाइन बोलना चाहुगा.
ना तारीफ के शब्दों की हैं उसे चाहत,
ना महंगे उपहारों से होती हैं उसकी इबादत
उसे मिलती हैं तब ही आत्मीय शांति
जब फैलती हैं विश्व में शिष्य कान्ति
समय सबसे बड़ा शिक्षक होता हैं, जो हर पल कुछ न कुछ नया और चमत्कारिक ज्ञान देता रहता हैं. समय ही लोगों को निरंतर अपने साथ लिए चलने का डर दिखाता हैं.
क्युकि एक बार यदि कोई समय के साथ पिछड़ जाता हैं. तो एक कठोर और ज्ञानवान शिक्षक ही वह अकेला व्यक्ति हो सकता हैं, जो व्यक्ति को पुनः समय के साथ ला सकता हैं.
हमारे मुस्कराने की वजह हैं आप
हमारे लिए बहुत ख़ास हैं आप
हमे मिलेगी जब भी कोई ख़ुशी
हम सोचेगे दुआ करने वाले हैं आप
यह शायरी एक अच्छे शिक्षक के चरित्र को चरितार्थ करती हैं. शिष्य चाहे उद्दंड हो या आज्ञाकारी गुरु हमेशा उनके अच्छे के लिए दुआ करते हैं. तथा उन्हें जो भी ज्ञान देते हैं उनकी बेहतरी के लिए देते हैं.
भले ही आज तक शिक्षक विश्व के सर्वोच्च पदों तक नही पहुच पाए हो. मगर वहाँ तक पहुचने वाले लोगों को शिक्षक द्वारा ही तैयार किया जाता हैं.
शिक्षक दिवस पर भाषण पर अधिक स्पीच पढ़ने के लिए सम्बन्धित लेख में दी गई लिंक पर क्लिक कर शिक्षक दिवस पर भाषण, कविता, शायरी और sms पर लिखे लेख पढ़ सकते हैं.
Speech On Teachers day In Easy And Simple Hindi Language Font
आदरणीय प्रधानाचार्य जी एवं मेरे प्रिय गुरुजनों मेरे प्यारे भाइयो और बहिनों जैसा कि आप सभी को विदित हैं कि आज हम अपने विद्यालय प्रांगण में शिक्षक दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं.
प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता हैं. तथा इसी दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस हैं. इनकी स्मृति में ही उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इन्होने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व भूमिका निभाई हैं.
शिक्षक दिवस
जिस तरह से आप सिखाते हैं .
आपके द्वारा साझा किए गए ज्ञान .
आप जो देखभाल करते हैं
प्यार तुम बौछार
आपको बनाता है
दुनिया का सबसे अच्छा शिक्षक
एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं. हर व्यक्ति के जीवन को सवारने उन्हें सही राह दिखाने में शिक्षक भी महती भूमिका होती हैं, शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता होते हैं जो हमे खुली सोच रखने वाला, ज्ञान को निरंतर प्राप्त करते रहने वाला जिज्ञासु बना देते हैं.
शिक्षक ही हमे भविष्य में आने वाली पिप्रित परिस्थियों का सम्पूर्ण ताकत के साथ सामना करने का साहस और विशवास पैदा करता हैं. हालांकि गुरु शिष्य का यह रिश्ता जीवन पर्यन्त बना रहता हैं.
देश के विद्यार्थी अपने शिक्षको का सम्मान करने के लिए महामहिम डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन हमें अपने गुरुजनों के साथ जुडी यादे ताज़ी हो जाती हैं.
यही अवसर हैं जिस पर हमे अपने गुरुजनों के बारे में अपने विचार साँझा करने का अवसर दिया जाता हैं. जिससे न केवल विद्यार्थियों में इस दिन को लेकर ख़ुशी का माहौल होता है,
बल्कि शिक्षको को भी इस दिन अपने कर्तव्यों के अहसास के साथ ही गुरु शिष्य परम्परा को और अधिक आगे ले जाने की प्रेरणा मिलती हैं.
माता गुरु है, पिता भी गुरु है,
विद्यालय के अध्यापक भी गुरु है
जिस्से भी कुचा सिखा है हमने,
हमारे लिए हर कोई शिक्षक गुरु हैं
आज के दिन हमे उस महान दर्शनशास्त्री शिक्षक के बारे में भी जानना चाहिए. जिनकी याद में हम वर्ष 1962 से आज तक मनाते आ रहे हैं.
भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दुसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडू राज्य के तिरुंतनी गाँव के एक साधारण से परिवार में हुआ था.
एक सरकारी विद्यालय से ही इन्होने वर्ष 1902 में मेट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की. आगे चलकर इन्होने कला वर्ग में बी.ए और ba के बाद इन्होने दर्शन शास्त्र में एम ए किया तथा 1916 से मद्रास के ही एक कॉलेज में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक बने. तब से लेकर उन्होंने देश विदेश के कई शिक्षण संस्थानों में अनवरत रूप से 40 वर्षो तक शिक्षण कार्य करवाया.
वर्ष 1952 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के पहले उपराष्ट्रप्ति के रूप में निर्वाचित हुए, इसके ठीक 10 साल बाद 1962 में राधाकृष्णन को राजेन्द्र प्रसाद के बाद भारत के दुसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने का अवसर मिला.
आप केवल हमारे शिक्षक नहीं हैं
आप हमारे दोस्त, दार्शनिक और गाइड हैं
सभी एक व्यक्ति में ढाला
हम हमेशा आपके समर्थन के लिए आभारी होंगे
उन्होंने कई वर्ष राजनीती में बिताएं इस दौरान कई बड़े पदों पर भी काम किया. मगर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमेशा स्वय को भाग्यशाली समझते थे, जो मानते थे कि मुझे शिक्षक जैसे सम्मानीय पद पर कार्य करने का अवसर मिला.
प्रशंसको के निवेदन पर उन्होंने अपने जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की सहमती के बाद 5 सितम्बर 1962 से इस दिन को मनाया जा रहा है.
एक आदर्श शिक्षक के अतिरिक्त राधाकृष्णन महान दर्शनशास्त्री, और वक्ता थे. उनकी विद्वता भरे भाषण सुनने लोगों का हुजूम उमड़ता था.
साहसी भाषणों से जोश भर देने वाले राधाकृष्णन जी ने 1962 में चीन के साथ युद्ध के समय और 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई वार में अपने ओजस्वी भाषणों से जनता तथा सैनिको में जोश जगाने का कार्य किया था.
टेक्नोलोजी हैं आज का उपकरण,
फिर भी ज्ञान में शिक्षक है महत्वपूर्ण.
हम जन्म के लिए अपने माँ-बाप के आभारी होते हैं तो अच्छे व्यक्तित्व निर्माण का दायित्व शिक्षक ही निभाता हैं.